November 21, 2024, 5:42 pm
spot_imgspot_img

मरीज के होश में रहते डॉक्टर्स ने निकाला ब्रेन ट्यूमर

जयपुर। हाल ही में सीके बिरला हॉस्पिटल में न्यूरोसर्जरी टीम की विशेषज्ञता का बेहतरीन उदाहरण देखने को मिला। ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहे एक मरीज की जटिल सर्जरी की गई जिसमें सर्जरी के दौरान मरीज पूरी तरह से होश में रहा। सर्जरी से पहले मरीज को बार-बार मिर्गी के दौर आते थे जिसके कारण अस्थाई रूप से उनकी आवाज भी कुछ देर के लिए चली जाती थी। यह सर्जरी सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. अमित चक्रबर्ती, डॉ. संजीव सिंह और न्यूरो एनेस्थेटिस्ट डॉ. दीपक नंदवाना तथा डॉ. अवनी मिश्रा ने मिलकर की। ऐसी अनूठी न्यूरो सर्जिकल प्रकिया को अवेक क्रैनियोटोमी या अवेक ब्रेन सर्जरी के नाम से जाना जाता है।

डॉ. अमित चक्रबर्ती ने बताया कि मरीज को बार-बार मिर्गी के दौर आते थे जिसके कारण अस्थाई रूप से उनकी आवाज भी कुछ देर के लिए चली जाती थी। आवश्यक जाँचे कराने पर ब्रेन के स्पीच एरिया में ब्रेन ट्यूमर मिला। ब्रेन ट्यूमर ऐसी जटिल जगह पर था कि सर्जरी से मरीज की बोलने की क्षमता जा सकती थी और लकवा होने का भी खतरा था। फिर मरीज को सी के बिरला हॉस्पिटल, जयपुर लाया गया जहां न्यूरोसर्जरी की टीम ने सफलतापूर्वक ब्रेन ट्यूमर को मरीज के होश में रहते हुए निकाला।

दिमाग के देखने, बोलने या शरीर की मुख्य गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले हिस्से में से ट्यूमर को निकालने के लिए ‘अवेक ब्रेन सर्जरी या अवेक क्रैनियोटोमी’ नामक नवीनतम तकनीक विश्वभर में प्रचलन में है। इस केस में ट्यूमर दिमाग के उस हिस्से में था जहां से बोली एवं शरीर की मुख्य गतिविधियां नियंत्रित होती है। यह सर्जरी इसलिए भी चुनौतिपूर्ण थी, क्योंकि सर्जरी के दौरान छोटी सी गलती भी हो जाने पर मरीज बोलने की क्षमता खो सकता था।

मरीज के होश में रहते हुए निकाला ट्यूमर –

न्यूरो सर्जन डॉ. संजीव सिंह ने बताया कि सामान्य ब्रेन ट्यूमर सर्जरी में मरीज को बेहोश कर दिया जाता है। अवेक ब्रेन सर्जरी में मरीज की प्रतिक्रिया की लगातार निगरानी की जा सकती है, जिससे सर्जन को मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों को बिना नुकसान पहुंचायें सटीक स्थान का पता लगाने में मदद मिलती है। इस केस में मरीज को आदेश अनुसार अपने उंगलियों को हिलाने के लिए और कुछ न कुछ बोलते रहने के लिए कहा जाता रहा। उसकी तुरंत प्रतिक्रिया से हमें सर्जरी को सुरक्षित रूप से अंजाम देने में सहायता मिली, क्योंकि जब भी हम गलत हिस्से को छेड़ते थे तो मरीज को स्पीच अरेस्ट हो जाता था।

इस केस के बारे में डॉक्टर्स ने और जानकारी दी कि, चार घंटे से ज्यादा समय तक चली इस सर्जरी में हाई एंड माइक्रोस्कोप के साथ ट्यूमर फ्लोरेसेंस तकनीक का इस्तेमाल हुआ जिससे ब्रेन एरिया को बारीकी से देखने में मदद मिली। ऐसी सर्जरी देश में उन्हीं केन्द्रों पर ही की जा सकती है जिसमें अनुभवी न्यूरो सर्जिकल टीम होती है। सर्जरी के बाद मरीज ने अच्छी तरह से रिकवरी की और सर्जरी के 3 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिली।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles