यह संसार कागद की पुड़िया, बूंद पड़े घुल जाना है
कहत ‘कबीर सुनो भाई साधो, सतुगरु नाम ठिकाना है
जयपुर। नेट-थियेट कार्यक्रमों की श्रृंखला में मस्त मौला कबीर वाणी कार्यक्रम में बनारस घराने के पंडित अनूप मिश्रा से दीक्षित गायक डॉ गजेंद्र कुमार पांडेय* ने अपनी मधुर वाणी से कबीर वाणी की ऐसी सरिता प्रवाहित की, कि सभी श्रोता मदमस्त हो भक्ति रस में हिलोरे लेने लगे।
नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि डॉ गजेंद्र पांडेय ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत *उड़ जाएगा हंस अकेला,जग दर्शन का मेला,से की। इसके बाद कबीर भजन रहना नहिं देस बिराना है, यह संसार कागज की पुड़िया, बूंद पड़े घुल जाना है और साधो, देखो जग बौराना। सुनाकर दर्शकों की भरपूर तालियां बटोरीं । डॉ गजेंद्र ने कबीर की वाणी के तहत जब जरा धीरे-धीरे गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले भजन सुनाया तो दर्शक मंत्र मुग्ध हो भक्ति रस में भीगते चले गए ।
इसके बाद उन्होंने मैं वारी जाऊं रे बलिहारी जाऊं रे म्हारे सतगुरु आंगन आया और बोले में काया में सुगनवा बड़ा लहरी,जैसे कबीर के दोहे और भजनों को एक के बाद बडे़ ही सुरीले अंदाज में प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। डा. गजेन्द्र के साथ तबले पर मेराज हुसैन* ने अपनी लगीं और तिहाई से तथा वायलिन पर गुलजार हुसैन की उंगलियों के जादू ने असरदार संगतकर कबीर वाणी की इस सुरीली शाम को यादगार बना दिया l कार्यक्रम की उद्घोषणा प्रसिद्ध रंगकर्मी दीपक भारद्वाज ने की ।
कार्यक्रम संयोजन नवल डांगी, प्रकाश एवं कैमरा संचालन मनोज स्वामी और संगीत संचालन सागर गढ़वाल ने कुशल पूर्वक किया। अंकित शर्मा नोनू एवं जीवितेश शर्मा की मंच सज्जा ने कार्यक्रम में चार-चांद लगा दिए।