जयपुर। जवाहर कला केन्द्र में बुधवार को सड़क सुरक्षा माह-2025 के तहत नाटक ‘एक और हादसा’ का मंचन किया गया। वरिष्ठ नाट्य निर्देशक नरेन्द्र अरोड़ा के निर्देशन में एकजुट संस्था के कलाकारों ने सड़क दुर्घटनाओं के कारणों, पीड़ित परिवारों के दर्द को प्रभावी तरीके से बयां करते हुए यह सवाल रखा कि सड़क पर लापरवाही कब तक जारी रहेगी, क्यों हम एक और हादसे के इंतजार में हैं?. गुरुवार को प्रातः 11 बजे विद्यार्थियों और शाम 6:30 बजे आमजन के लिए नाटक का दोबारा मंचन किया जाएगा।
निर्देशक नरेन्द्र अरोड़ा ने बताया कि सड़क हादसों में अपनों को खोने वाले 80 परिवारों से बात करने के बाद मनोवैज्ञानिक विश्लेषण कर नाटक की स्क्रिप्ट तैयार की गयी है। नाटक में भी स्क्रीन पर इन परिवारों की आपबीती दर्शकों के सामने झलकी। उन्होंने बताया कि सड़क हादसों में चालकों की गलती के साथ एक अप्रत्यक्ष कारण और होता है उसकी पड़ताल और निवारण आवश्यक है इसी पर नाटक प्रकाश डालता है।
मंच एक आलीशान रिजॉर्ट के कॉन्फ्रेंस रूम के रूप में तब्दील है। स्क्रीन पर लाल रंग में प्रोजेक्ट हो रहा पोस्टर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता है, इस लाल रंग में हादसा पीड़ितों की चीख छिपी है! रिसॉर्ट के उद्घाटन का जश्न होना है। रिजॉर्ट मालिक ने एक खास उद्देश्य से भी मेहमानों को बुलाया है। बड़े रिसॉर्ट की पार्टी में चुनिंदा लोगों को देखकर मेहमान भी हैरान है। इसी बीच पता चलता है कि नजदीकी ब्रिज टूट गया है जिससे कोई घर नहीं जा सकता। होस्ट एक खास खेल की शुरुआत करता है।
यह खेल रिसोर्ट मालिक के पिता जो कि जज रहे हैं उनके लिए तैयार किया गया होता है। जज साहब का मानना था, ‘फैसले का दम सबूतों और गवाहों की सच्चाई पर निर्भर करता है’। सच जानने के लिए सभी को रिस्ट बैंड पहनाया जाता है। सच कहने पर यह ग्रीन सिग्नल देगा, झूठ पर रेड और अधूरे सच पर येलो।
सवालों का सिलसिला शुरू होता है और एक एक कर सच सामने आने लगता है। अंत में यही सामने आता है कि हादसा अमीर-गरीब, खास-आम में भेद नहीं करता है। सड़क पर लापरवाही या झूठ हत्या करना व आत्महत्या करने जैसा है और अधूरा सच कहते हुए किसी को भ्रमित करना आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है और यह सभी अक्षम्य और दंडनीय है।
योगेन्द्र सिंह, मोहन सैनी, मोइनुद्दीन खान, अभिषेक चौधरी, अभिषेक सैन, अंकित शर्मा, साक्षी, प्रेरणा और प्रियांशु ने मंच पर विभिन्न किरदार निभाए। राजीव मिश्रा ने प्रकाश संयोजन और गौरव गौतम व विमल मीणा ने संगीत संयोजन संभाला।