जयपुर। शहर में जाम से निजात पाने के लिए प्रशासन ने ई-रिक्शा चालकों पर नकेंल कसना शुरू किया तो एक ओर शहर की सभी सड़के खुली-खुली नजर आने लगी, वहीं दूसरी ओर ई-रिक्शा चालकों को अपना और बच्चों का पेंट पालना भारी हो गया। इसी मुद्दे को लेकर रविवार को बिहार समाज संगठन के तत्वावधान ई-चालकों ने बड़ी संख्या में एनबीसी के पीछे दुर्गा विस्तार कॉलोनी ग्राउंड में एकत्रित हुए ।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पवन शर्मा व महामंत्री चंदन मंडल के नेतृत्व में ई-रिक्शा चालकों ने धरना प्रदर्शन दिया। धरने की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने आपसी समझाइश कर शांतिपूर्वक धरने देने के लिए कहा। संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि ई-रिक्शा से किसी भी तरह का कोई प्रदूषण नहीं होता है। लेकिन फिर भी प्रशासन आए दिन —रिक्शा चालकों को परेशान करने के लिए चालान की कार्रवाई करती है, और अचानक से प्रशासन ने शहर की चारदीवारी में ई-रिक्शा पर प्रतिबंध लगा दिया। ये गलत कार्रवाई है। कम से कम ई-रिक्शा चालकों को तीन महीने का समय देना चाहिए । प्रदूषण कम करने और सुगम परिवहन सेवा शुरू करने के उद्देश्य से राजधानी में ई-रिक्शा की शुरुआत की गई थी।

ई-रिक्शा चालकों के लिए बने पॉलिसी
संगठन का कहना है कि ई-रिक्शा चालकों के लिए पॉलिसी बननी चाहिए ।ई-रिक्शों का संचालन तो शुरू कर दिया लेकिन पॉलिसी नहीं बनाई। इसके लिए स्क्रैप पॉलिसी बननी चाहिए जिसमें पुराने ई-रिक्शा शहर से बाहर हो ।
चालकों के लिए लगाए जाए कैम्प
ई-रिक्शा चालकों के लाइसेंस बनाने के लिए प्रशासन को कैंप लगाने चाहिए इसके साथ ही नियमों के तहत फिटनेस भी होनी चाहिए ।शहर को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए ई-रिक्शा जरूरी है।
बिहार समाज के सदस्य सुरेश पंडित ने कहा कि पुलिस ई-रिक्शा चालकों का जबरन चालान काट रहीं है जो गलत है। चालकों को धमकाया जा रहा है गरीब तबके के लोग सिर्फ अपने ई-रिक्शा पर ही आश्रित है। संजीव मिश्रा ने बताया कि ई-रिक्शा चालकों की आफत आ गई है वो दाने-दाने के लिए भी मोहताज हो गए है। कुछ परिवार तो ऐसे है जो किराए पर ई-रिक्शा लेकर चलाते है। सरकार को इनकी परेशानियों पर ध्यान उनके लिए आफत शुरू हो गई है। दाने-दाने के मोहताज हो गये। जो किराए पर लेकर ई रिक्शा चलाते हैं उनके लिए आफत के मारे बुरी तरह से टूट चुके हैं । सरकार को इनके लिए सोचना चाहिए।