जयपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने मंगलवार को कार्रवाई करते हुए सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने वाले मुख्य सरगना और वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह मीणा के एक दर्जन से अधिक ठिकानों की प्रॉपर्टी सीज की। आरोपित शेर सिंह मीणा ने पेपर बेचकर करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित कर रखी थी। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की रडार पर आने के बाद दर्ज एफआईआर से जानकारी लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शेरसिंह की संपत्ति को लेकर जांच पडताल करते हुए संपत्ति को सीज किया।
जानकारी के अनुसार ईडी की टीमें शेर सिंह मीणा के अजमेर, उदयपुर, झालावाड़, बगरू स्थित प्रॉपर्टी पर पहुंची। जहां पर संपत्ति को सीज करने, प्रॉपर्टी पर ईडी के बोर्ड और नोटिस लगाने सहित निगम और जेडीए में शेर सिंह मीणा की दर्ज संपत्ति पर ईडी नोटिस होने की जानकारी देने का काम किया गया। वहीं दिल्ली ईडी की टीम अजमेर के भुणाबाय स्थित विनायक विहार पहुंची। जहां पर शेर सिंह की संपत्तियों को सीज किया गया। माफिया अनिल मीणा उर्फ शेरसिंह ने ब्लैक मनी से यह पूरी प्रॉपर्टी खरीदी है। इन बेशकीमती संपत्तियों का पूरा डाटा ईडी के पास है। ईडी की मानें तो आरोपी ने बेरोजगारों से लाखों रुपए लेकर पेपर बेचा है। अनिल उर्फ शेरसिंह के खिलाफ ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संपत्तियों को सीज करने की कार्रवाई की है।
इसके अलावा पेपर लीक के मास्टर माइंड के पास करोड़ों रुपए की संपत्ति अजमेर, उदयपुर, झालावाड़ और जयपुर के बगरू में होना पाया गया है। इस संबंध में ईडी ने लोकल पुलिस के साथ-साथ जमीनों के दस्तावेजों पर काम करने वाली एजेंसी निगम, जेडीए और परिषद को भी शेर सिंह की संपत्ति के बारे में अवगत कराया है। गौरतलब है कि उदयपुर में हुए सीनियर टीचर भर्ती पेपर लीक की जानकारी पुलिस को मिलने के बाद शेर सिंह भाग निकला था। जिसे तीन महीने बाद पुलिस ने उसकी गर्लफ्रेंड की निशानदेही पर पकड़ा था।
ज्ञात रहे कि पेपर लीक मामले में कुछ दिन पहले ईडी ने सुरेश ढाका और भूपेन्द्र सारण की संपत्ति को सीज किया था। जिसके बाद ईडी पेपर लीक में पकड़े गए और ईडी की जांच में आरोपी पाए गए बदमाशों के खिलाफ एक-एक कर कार्रवाई कर रही हैं। शेर सिंह मीणा के खिलाफ एसओजी और उदयपुर पुलिस ने कार्रवाई की थी। लेकिन संपत्ति सीज करने का काम राजस्थान की किसी एजेंसी ने नहीं किया था। ईडी पेपर लीक की जांच काफी समय से कर रही है। ईडी की जांच में भूपेन्द्र सारण और सुरेश ढाका दोनों पर आरोप सिद्ध हो चुका था।