May 29, 2025, 11:23 am
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ईएफ पॉलीमर बना द/नज प्राइज़: डीसीएम श्रीराम एगवाटर चैलेंज का विजेता, जीता 2 करोड़ रुपये का पुरस्कार

जयपुर। डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन और द/नज इंस्टीट्यूट ने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के सहयोग से ईएफ पॉलीमर को डीसीएम श्रीराम एगवाटर चैलेंज का विजेता घोषित किया। छोटे किसानों के लिए पानी की बचत और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने वाले अपने इनोवेटिव समाधानों के लिए ईएफ पॉलीमर को 2 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया गया। यह सम्मान एक भव्य समापन समारोह में प्रदान किया गया, जिसमें भारत के जी20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।

इसके अलावा, फार्म2फोर्क टेक्नोलॉजीज के एग्री-टेक प्लेटफॉर्म, कल्टीवेट को भी विशेष मान्यता दी गई। सिंचाई को आसान बनाने और किसानों को बेहतर निर्णय लेने में मदद करने वाली स्मार्ट सिंचाई प्रणालियों के विकास में उनके योगदान के लिए 25 लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया।

डीसीएम श्रीराम एगवाटर चैलेंज को जून 2023 में लॉन्‍च किया गया था और इसी साल सितंबर में समूह की शुरुआत हुई। इस चैलेंज को भारत में 10 लाख छोटे किसानों को पानी का सही इस्तेमाल सिखाने, उनकी पैदावार एवं मुनाफे को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ डिजाइन किया गया था। इसमें चार प्रमुख फसलों – गन्ने, गेहूं, धान और कपास जैसी फसलों पर ध्यान दिया गया जिसके लिए पानी की बहुत जरूरत होती है। इस चैलेंज को 134 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 16 एगटेक संगठनों को समूह के लिए चुना गया, जो सिंचाई, बायोएजी इनपुट, सलाहकार सेवाओं और अन्य क्षेत्रों में नए-नए आविष्‍कार कर रहे थे। मूल्यांकन के बाद, आखिरकार चार फाइनलिस्टों की पहचान की गई: ईएफ पॉलीमर, कल्टीवेट, इंडसटिल और फाइफार्म। सामूहिक रूप से, फाइनलिस्टों ने पिछले वर्ष में लगभग 15,000 छोटे किसानों को प्रभावित किया।

भारत एक गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है, जिसमें प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 1,486 घन मीटर से नीचे गिर गई है – जो जल तनाव के लिए 1,700 घन मीटर की सीमा से काफी कम है। कृषि, जो भारत के ताजे पानी का 78% उपभोग करती है, एक प्रमुख चालक है, जिसमें से 62% पानी तेजी से घटते भूजल से आता है। वर्तमान दर पर, भारत के पास 2030 तक अपनी पानी की जरूरतों का केवल 50% होगा, जिससे 60 करोड़ किसानों को खतरा होगा। डीसीएम श्रीराम एगवाटर चैलेंज चावल, गेहूं, गन्ना और कपास जैसी ज्‍यादा पानी की जरूरत वाली फसलों के लिए मापनीय, उच्च-प्रभाव वाले समाधान बनाने के लिए एगवाटरटेक संगठनों की क्षमता को दर्शाता है। यह बढ़ते जल तनाव और जलवायु संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे छोटे किसानों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं।

अजय एस श्रीराम, चेयरमैन और वरिष्ठ प्रबंध निदेशक, डीसीएम श्रीराम लिमिटेड और डायरेक्‍टर, डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन ने कहा, “खेती के लिए पानी सबसे ज़रूरी चीज़ है। हमारे देश में पानी की बहुत कमी है। इसलिए, यह जरूरी है कि किसान पानी का सही इस्तेमाल करें। इस चैलेंज का मकसद ऐसे नए तरीके एवं समाधान खोजना है, जिससे छोटे किसान कम पानी में ज्यादा फसल उगा सकें। हम विजेता के साथ-साथ अन्य फाइनलिस्टों को उनके प्रमुख कार्यों के लिए बधाई देते हैं। हमें उम्मीद है कि इन तरीकों से देश भर के लाखों किसानों को मदद मिलेगी और उनके जीवन में सकारात्‍मक बदलाव आएगा।”

कनिष्का चटर्जी, डायरेक्‍टर, द/नज प्राइज ने कहा, ” भारत के लगभग 85% किसान छोटे किसान हैं। इसलिए, खेती को सुधारने के लिए छोटे किसानों की मदद करना ज़रूरी है। किसानों को पानी का सही इस्तेमाल करना सीखना चाहिए, उन्हें अपनी फसल की पैदावार बढ़ानी चाहिए और लम्बे समय तक खेती करने के लिए तैयार रहना चाहिए। डीसीएम श्रीराम एगवाटर चैलेंज ने पिछले 2 वर्षों में दिखाया है कि एगवाटरटेक संगठन बड़े पैमाने पर और गहराई से प्रभावशाली नए-नए समाधान डिजाइन और वितरित कर सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि एगवाटर सिस्‍टम इन समाधानों को अपना सहयोग देना जारी रखेगा, और भारत के छोटे किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए ज्‍यादा से ज्‍यादा तकनीकों को लाएगा। इससे वैल्‍यू चेन में जटिल चुनौतियों को हल करने में मदद मिलेगी।”

विजेता, ईएफ पॉलीमर, एक कृषि-जैविक स्टार्टअप है जो खेती के लिए उपलब्धता में सुधार के प्रयासों को चला रहा है। वर्तमान में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में कार्यरत, इसका उत्पाद – फसल अमृत एक ऑर्गेनिक सॉइल कंडीशनर है, जो अपने वजन से 100 गुना तक पानी सोख सकता है। यह मिट्टी की ज्‍यादा से ज्‍यादा नमी बनाए रखने में मदद करता है और फसल की पैदावार को बढ़ाता है। पिछले दो वर्षों में, ईएफ पॉलीमर ने 11 राज्यों में 17000 से अधिक किसानों तक पहुंच बनाई है।

कल्‍टीवेट को छोटे किसानों के लिए किफायती टेक्‍नोलॉजी और डेटा में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष मान्यता मिली। यह कंपनी नमी के स्तर, फसल के स्वास्थ्य, पर्यावरणीय परिस्थितियों और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए आईओटी इनेबल्‍ड सॉइल सेंसर्स, मौसम स्टेशनों और सैटेलाइट-बेस्‍ड रिमोट सेंसिंग का लाभ उठाता है। यह राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब में काम कर रहा है और इनकी सेवाएं विशेष रूप से धान किसानों को लाभ पहुंचाती हैं।

अन्य दो फाइनलिस्ट भी इस क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। इंडसटिल फार्मटेक प्राइवेट लिमिटेड ने खेती में नए टेक्‍नोलॉजी प्रोडक्‍ट ऑटोफार्म को बनाया है, जो कम पानी में अपने आप ही सिंचाई में मदद करता है और पानी का समझदारी से उपयोग करता है। इसका आईओटी प्लेटफॉर्म मोबाइल ऐप द्वारा मैनेज किये जाने वाले स्मार्ट उपकरणों के साथ सिंचाई और उर्वरक छिड़कने में मदद करता है। इससे पानी, खाद और कीटनाशक की बचत होती है और फसल भी अच्छी होती है। फाइफार्म (फिसिज़ एगटेक प्राइवेट लिमिटेड) सिंचाई के लिए ऑटोमेशन टेक्‍नोलॉजी मुहैया करता है जो किसानों को एक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से पंपों और वाल्व को दूर से नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है। यह इंटलिजेंट सिंचाई प्रणालियों का उपयोग करके पानी के उपयोग को मापता और अनुकूलित करता है।

इस यात्रा के दौरान, संगठनों को सलाहकार, जूरी और प्रमुख इकोसिस्‍टम पार्टनर्स से मार्गदर्शन भी मिला, जिनमें हेमेंद्र माथुर (निवेशक और वेंचर पार्टनर, भारत इनोवेशन फंड और को-फाउंडर, थिंकएजी), अरुणा रंगाचर पोहल (वरिष्ठ सलाहकार और चेयरपर्सन, सलाहकार समिति, आईएफएचडी), और अरिंदम दत्ता (पूर्व कार्यकारी निदेशक, रैबोबैंक) शामिल हैं। अतिरिक्त प्रमुख इकोसिस्‍टम पार्टनर्स में इमैनुएल मुरे (निवेश निदेशक, कैस्पियन), विलास शिंदे (चेयरमैन और प्रबंध निदेशक, सह्याद्री फार्म्स), और रोमियल सैमुअल (संस्थापक और कार्यकारी निदेशक, सिंधु जल संस्थान) शामिल हैं। रिसर्च, नॉलेज और इम्‍प्रेशन पार्टनर्स में इकोसिएट कंसल्टेंट्स, देशपांडे फाउंडेशन, थिंकएजी, द डौर्टी वाटर फॉर फूड ग्लोबल इंस्टीट्यूट, 2030 वाटर रिसोर्सेज ग्रुप, विलग्रो, सोशल अल्फा, अर्घ्यम, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार (मैनेज) और आईआईटी-आईआईटी द्वारा कृषि विस्तार प्रबंधन का राष्ट्रीय संस्थान शामिल हैं।

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