जयपुर। उत्तर भारत की प्रमुख श्री वैष्णव पीठ उत्तर तोदाद्रि मठ श्री गलता जी में मनाए जा रहे ब्रह्मोत्सव के दूसरे दिन विभिन्न् दिव्य आयोजन संपन्न हुए। श्री वैष्णव मण्डल के अध्यक्ष डॉ. लीला पुरुषोत्तम ने बताया कि प्रातः शांति पाठ, द्वारा तोरण पूजन किया गया। इसके पश्चात चतुःस्थान अर्चन, मूलमंत्र व मूर्तिमंत्र हवन का आयोजन किया गया। इसके पश्चात पंचसूक्त से हवन की पूर्णाहुति की गई। जिसके पश्चात ध्वाजारोहण किया गया।
मध्याह्न पश्चात भगवान श्रीनिवास के साथ श्री देवी व भूदेवी के साथ दिव्य तिरूमंजन किया गया। तिरूमंजन सर्व औषधि, पंचामृत, मेवे, फलों, फलों के रस, हरिद्रा, कुमकुम, शंख-चक्र, सहस्रधारा आदि के साथ किया गया। जिसके बाद भगवान नारायण एवं महालक्ष्मी जी का अष्टोत्तरशत से पुष्प अर्चन किया गया । इसके पश्चात अष्टदिकपाल बलिहरण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसके पश्चात तीर्थ प्रसाद गोष्ठी आदि का वितरण किया गया ।
7 दिवसीय महोत्सव के अन्तर्गत मनाए जाने वाले विभिन्न उत्सवों में यह सब रहेगा विशेष :–
दक्षिण भारतीय संस्कृति होगी साकार – इस सात दिवसीय ब्रह्मोत्सव में दक्षिण भारत से विद्वान पधारेंगे व वैदिक विधी से पूजा-पाठ, हवन, अनुष्ठान आदि सम्पन्न कराएंगे । इसके अतिरिक्त दक्षिण भारतीय पाक-शास्त्री भगवान को लगने वाले गोष्ठी व अन्य भोग प्रसादी आदि बनाएंगे । दक्षिण भारत से ही भगवान् की माला आदि नित्य मंगाए जायेगी । दक्षिण भारतीय वाद्यम से सम्पूर्ण श्री गलता तीर्थ गुंजायमान रहेगा। भगवान् को दक्षिण भारत में विशेष रूप से तैयार किए गए आभूषण, वस्त्र आदि धारण कराए जाएंगे। दक्षिण भारतीय पात्रों से भगवान् की पूजन, अभिषेक आदि संपन्न होंगे ।
रत्न जडित मुथांगी भगवान को धारण कराई जाएंगी ,लाखों की संख्या में श्रद्धालुजन करेंगे दर्शन
तीर्थं नगरी गलता जी में चल रहे सात दिवसीय ब्रह्मोत्सव में नगर,प्रदेश व देश के अनेकों विशिष्ट जनों के साथ-साथ देशभर के श्रद्धालुजन दर्शनार्थ के लिए मंदिर में पधारेंगे एवं भगवान की विशेष कृपा के पात्र बनेंगे। इसी के साथ भगवान शेष वाहन में विराजमान होंगे। ऐसा माना जाता है कि शेष वाहन में विराजमान भगवान के दर्शन मात्र से मुखोल्लास के साथ-साथ जीव का कल्याण होता है।
सैंकड़ों किलों सामग्री उपयोग में ली जाएगी
7 दिवसीय महोत्सव में नित्य के भोग, तिरूमंजन, हवन, गोष्ठी आदि के लिए सैंकड़ों किलो फल, सब्जियां, दूध, दही, घी, अन्न, मेवे, तिल, फूल, माला, पुष्प आदि उपयोग में लिए जाएंगे।