जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय के यूरोपीय भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक अध्ययन विभाग तथा भारतीय फ्रेंच शिक्षक संघ के संयुक्त तत्वावधान में जेएलएन मार्ग स्थित यूजीसी-एमएमटीटीसी (एचआरडीसी) के सेमिनार हॉल में सोमवार से टीचिंग ऑफ फ्रेंच लैंग्वेज ट्रेडिशन, ट्रांजिशन, अडाप्टेशन” विषय पर त्रिदिवसीय चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अल्पना कटेजा रहीं।
38वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के तहत आयोजित इस सम्मेलन में फ्रेंच भाषा के भारतीय संदर्भ में अध्ययन-अध्यापन, करियर संभावनाओं और भविष्य की चुनौतियों पर गहन चर्चा की गई। विभागाध्यक्ष डॉ. निधि रायसिंघानी और एटीएफ की अध्यक्ष अंजलि लोकुर ने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य फ्रेंच भाषा के शिक्षण, साहित्य, संस्कृति, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और शैक्षणिक दृष्टिकोणों पर विचार-विमर्श व विशेषज्ञता का आदान-प्रदान था। 20 नवंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में भारत और विदेशों से 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। फ्रांस, ताइवान, सिंगापुर और अन्य देशों के विशेषज्ञ और पदाधिकारी भी इस आयोजन का हिस्सा बने। सम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्रों में वक्ताओं ने आधुनिक फ्रेंच शिक्षण, टीचिंग मेथोडोलॉजी, शोध, और भाषागत कौशल पर अपने विचार साझा किए।
यह सम्मेलन भारत और फ्रांस के बीच सांस्कृतिक और अकादमिक संबंधों को प्रोत्साहित करने, बहुभाषीय संवाद को बढ़ावा देने और फ्रेंच शिक्षण के नए आयामों पर केंद्रित रहा।आईएटीएफ, जो 1953 में स्थापित हुआ था, ने इस वर्ष अपनी 70वीं वर्षगांठ मनाई। संघ ने शिक्षक प्रशिक्षण, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से फ्रेंच भाषा के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस कार्यक्रम को गोयल पब्लिशिंग हाउस, लैंगर्स, फ्रेहिंदी, यूनिसेक, आरएफआई, क्ले इंटरनेशनल, टीवी5, कैंपस फ्रांस और एलायंस फ्रांसेसे नेटवर्क जैसे भागीदारों का समर्थन प्राप्त हुआ। यह त्रिदिवसीय सम्मेलन फ्रेंच शिक्षकों, छात्रों, भाषा प्रेमियों और शोधार्थियों के लिए एक प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक मंच सिद्ध हुआ।