जयपुर। वैशाख महीने के आखिरी दिन 23 मई गुरुवार को पूर्णिमा मनाई जाएगी। पूर्णिमा के दिन पीपल की विशेष पूजा करने की परंपरा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार वैशाख माह में पीपल की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं की पूजा –अर्चना एक साथ हो जाती है। पीपल को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। ज्योतिषाचार्य राजेंद्र शास्त्री के बताए अनुसार पूर्णिमा के दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करने से पितर देवता तृप्त होते है और तरक्की करने का आशीर्वाद देते है। बताया जाता है कि पूर्णिमा के दिन पीपल की पूजा करने से भगवान श्री कृष्ण की पूजा का पुण्य भी मिलता है।जिसका बारे में गीता में भी दर्शाया गया है।
ऐसे करे पीपल की पूजा
पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद मंदिर जाएं और पीपल के पास आसन बिछाकर पीपल की जड़ में जल और गाय का दूध अर्पण करें । जिसके पश्चात कुमकुम,चंदन अबीर,गुलाल,हार-फूल आदि पूजन सामग्री चढ़ाने के बाद धूप-दीप जलाकर आरती करें और पीपल की परिक्रमा करें।
वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और देवी महालक्ष्मी दक्षिणावर्ती शंख से विशेष अभिषेक करना चाहिए, शंख में केसर मिश्रित दूध भरना चालिए और भगवान का स्नान करवाना चाहिए। जिसके पश्चात शुद्ध जल से स्नान करवाना चाहिए।पूजा-अर्चना के पश्चात तुलसी के साथ मिठाई का भोग अर्पण करना चाहिए और धूप-दीप के साथ आरती करने के बाद विष्णु भगवान के मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
गुरु ग्रह की पूजा कर भी विशेष महत्व
वैशाख पूर्णिमा के दिन गुरु ग्रह की भी पूजा करनी चाहिए, इस दिन गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए शिवलिंग पर बिल्व पत्र,धतूरा के साथ पीले फूल अर्पित करने चाहिए, और बेसन के बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इस दिन जरूरतमंद लोगों को अनाज,जूते-चप्पल ,छाते का दान करना चाहिए। किसी गौशाला में गाय को घास खिलाएं और धन का दान करें।