जयपुर। वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया दस मई को कई विशेष संयोग में मनाई जाएगी। वैदिक ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक इस बार सौ साल बाद अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग बन रहा है। दरअसल अक्षय तृतीया पर चंद्रमा और देवगुरु बृहस्पति की युति होने से गजकेसरी योग का निर्माण होगा। ज्योतिष शास्त्र में गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ योग माना गया है। इस अलावा अक्षय तृतीया पर मालव्य योग, धन योग, रवि योग, उत्तम योग और शश योग को मिलाकर कुल पांच महा शुभ योग बनेगा।
पंडित शैलेश शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन सुकर्मा योग रहेगा। सुकर्मा योग का शुभारंभ दोपहर 12 बजे होगा, जो शनिवार को सुबह 10 बजे तक रहेगा। इस योग में खरीदारी करना शुभकारी माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन रोहिणी नक्षत्र रहेगा। इस नक्षत्र के स्वामी भौतिक सुखों के दाता शुक्र ग्रह हैं, इसलिए रोहिणी नक्षत्र में किसी भी तरह का कार्य शुरू करना शुभ फलदायक होगा। इसके अलावा, पूरे दिन मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही तैतिल और गर करण का निर्माण होगा। ऐसे में अक्षय तृतीया को बेहद खास माना जा रहा है।
महालक्ष्मी-विष्णु की होगी पूजा-अर्चना
ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि अक्षय पुण्य की कामना के साथ श्रद्धालु महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करेंगे। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की विधि अनुसार पूजा करने से व्यक्ति को धन की कमी नहीं होती है। रुके हुए कार्यों को भी गति मिलती है। इस दिन भगवान गणेश और कुबेर की पूजा करना शुभकारी होता है। इस दिन सोना और चांदी की खरीदारी करना शुभ होता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है। गृह प्रवेश, प्रतिष्ठान का शुभारंभ सहित अन्य मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।
इसलिए खास है यह तिथि
अक्षय तृतीया तिथि पर ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया पर महर्षि वेदव्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी। अक्षय तृतीया के दिन ही उत्तराखंड में स्थिति बद्रीनाथ और केदारनाथ के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया पर गृह प्रवेश, विद्यारंभ, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ, नया कारोबार,जमीन, विवाह और वाहन आदि की खरीदारी करना शुभ होता है। अक्षय तृतीया पर गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। अक्षय तृतीया पर पूजा और दान करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी से बने आभूषणों को खरीदने की परंपरा होती है।