जयपुर। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में रथ यात्रा महोत्सव 7 जुलाई को सुबह 6:30 बजे मनाया जाएगा। मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि गर्भ मंदिर के पश्चिम द्वार से मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में विग्रह को चांदी के रथ पर विराजमान कर मंदिर की परिक्रमा करवाई जाएगी। माध्वीय गौड़ीय सम्प्रदाय के वैष्णव वृंद, भजन मंडलियां रथ विराजमान होने के बाद पूरे हर्षोल्लास से निज मंदिर परिक्रमा में श्री हरिनाम संकीर्तन के साथ परिभ्रमण करवाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि आराध्य देव ठाकुर श्री गोविंद देव जी के श्री विग्रह को गौरांग देव महाप्रभु के आदेश पर वृंदावन में गौमाटीला स्थान पर उनके प्रधान शिष्य रूप गोस्वामी ने कड़ी तपस्या से प्राप्त किया था। उसकी सूचना अविलम्ब उड़ीसा में नीलाचंल स्थान पर श्रीमन महाप्रभु को पहुंचाई गई कि वे वृंदावन पधारें। लेकिन श्रीमन् महाप्रभु ने अस्वस्थ होने के कारण श्री विग्रह के प्रागट्य दर्शन लाभ के लिए स्वयं की प्रति स्वरूप अष्टधातु का श्री विग्रह गौर गोविंद का निर्माण करवाकर एवं उस श्री विग्रह में स्वयं की शक्ति संचार कर भिजवा दी।
काशीश्वर पंडित इस श्री विग्रह को वृंदावन लेकर आए। इसी श्री विग्रह गौर गोविंद को ठाकुर श्री गोविंद देव जी के दाईं तरफ प्रतिष्ठित किया गया। गया। उनका विग्रह आज भी यथावत् विराजित होता चला आ रहा है। इसके कुछ समय व्यतीत होने के बाद मालूम हुआ कि श्रीमन् गौरांग महाप्रभु स्वयं पुरी के मंदिर ठाकुर श्री जगन्नाथ जी के गर्भ मंदिर में हरिनाम संकीर्तन करते-करते प्रवेश होने के बाद वे श्री विग्रह गौर गोविन्द में समाविष्ट हो गए।