April 16, 2025, 3:34 pm
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गहलोत कांग्रेसी से ज्यादा समाजवादी दिखे: पुस्तक

जयपुर। शतायु समाजवादी नेता पण्डित रामकिशन के जीवन से जुड़े हुए विभिन्न सामाजिक -राजनीतिक संस्मरणो का संकलन “मैं ज़िंदा हूँ : शताब्दी का साक्षी -समाजवाद का प्रहरी ” किताब का विमोचन प्रोफेसर आनंद कुमार ने राजधानी जयपुर स्थित पिंकसिटी प्रेस क्लब में किया।

किताब में दावा किया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ समाजवादी कार्यक्रमों को अपनाया जिसका उनके ही पार्टी के पूर्ववर्ती नेता मज़ाक़ उड़ाते थे। गहलोत के कार्यक्रमों ने कॉंग्रेस को समाजवाद की ओर ढकेलना शुरू किया है। हालांकि और पार्टी भी इस तरह के कार्यक्रमों को शंका से देखती थीं।

ये खुलासा किताब में किया गया है

शतायु पंडित रामकिशन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के सेनानी रहे पंडित रामकिशन चार बार विधायक और एक बार संसद सदस्य भी रहे हैं। इस किताब के विमोचन के साथ ही पंडित जी सौ वर्ष की आयु में अपने शब्दों में अपनी किताब लाने का एक रिकॉर्ड कायम किया है। इससे पहले वह 97 वर्ष की आयु में अपने घुटने के जोड़ों का प्रत्यर्पण करा कर भी एक रिकॉर्ड बना चुके हैं।

पंडित जी की सौ वर्ष की आयु में भी पूरी सक्रियता के साथ धरातल पर विभिन्न नागरिक अधिकारों की लड़ाई अभी भी जारी हैं। पंडित जी ही वह व्यक्ति हैं जिनकी भरतपुर के लिए चम्बल के पानी की माँग ने ही 21 ज़िलों की प्यास बुझाने वाली पचास हज़ार करोड़ की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की नींव रखी। पंडित जी ने सन 2007 में चम्बल के पानी लेन का विचार स्पष्ट ब्लू प्रिंट तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समक्ष रखा था।

वह अभी भी इस योजना के क्रियान्वयन के मामले में लगातार संघर्षशील हैंं। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है कि एक व्यक्ति ने जिस परियोजना का खाका खींचा वह उसे अपने जीवन काल में ही पूरा होता हुआ देख पा रहा हैं।

पंडित जी आजादी पूर्व भरतपुर – राजस्थान से काँग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की सदस्यता लेने वाले प्रथम व्यक्ति रहे हैं । वह 1958 में सोशलिस्ट पार्टी के राजस्थान के प्रथम अध्यक्ष बने थे। 2023 में उन्हें समाजवादी शताब्दी पुरुष के ख़िताब से भी सम्मानित किया गया हैं।

पडित जी की यह किताब ऐसी पहली किताब होने जा रही है जो राजस्थान के समाजवादी आंदोलन से जुड़े हुए विभिन्न पहलुओं को एक दस्तावेज के रूप में मान्यता प्रदान करेगी । यह किताब राजनीतिक और सामाजिक कर्यकर्ताओं के लिए एक प्रेरणा का काम करने वाली होगी। पण्डित जी की यह किताब आजादी के आंदोलन में उनके सशस्त्र तथा अहिंसात्मक संघर्ष, उनकी जेल यात्राओं और भरतपुर रियासत से जुड़े हुए विभिन्न किस्सों से भरपूर होगी। पंडित जी की यह किताब उनके व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक संस्मरणों का संकलन होगी जिसमे उनकी जीवन यात्रा उनकी अपनी ज़ुबानी होगी।

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