जयपुर। नेटथियेट कार्यक्रम की श्रृंखला में खुशबू की तरह ग़ज़ल सांझ उभरते ग़ज़ल कलाकार दिनेश खींची ने अपनी मखमली आवाज़ में सुप्रसिद्ध शायरों की ग़ज़लों का गुलदस्ता पेश कर मौसिकी से रूबरू कराया।
नेटथियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू बताया कि कलाकार दिनेश खींची ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत सुप्रसिद्ध नज्में बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी से की । इसके बाद उन्होंने सुप्रसिद्ध शायर बशीर बद्र की ग़ज़ल लहरों में डूबते रहे दरिया ना मिला, उससे बिछड़ कर फिर कभी वैसा ना मिला सुनाकर दर्शकों की तालियां बटोरी।
फिर मुनीर नियाज़ी की एक ग़ज़ल आ गई याद शाम ढलते ही, बुझ गया दिल चराग जलते ही फिर ताहिर फराज शायर की आप हमारे साथ नहीं चलिए कोई बात नहीं, आप किसी के हो जाए आपके बस की बात नहीं और शायर दानिश अलीगढ़ी की ग़ज़ल उससे मिलने की सजा देंगे तेरे शहर के लोग, यह वफाओं का सिला देंगे तेरे शहर के लोग को जब अपनी पुरकशिश आवाज़ में इन ग़ज़लों को सुनाया तो दर्शक वाह-वाह कर उठे ।
इनके साथ तबला वादक पुनीत अग्रवाल ने अपनी उंगलियों का जादू दिखाकर ग़ज़ल की इस महफिल को परवान चढ़ाया तथा सारंगी पर देश के जाने-माने कलाकार दायम अली ने शानदार संगतकर कार्यक्रम को ऊंचाइयां दी। कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध उद्घोषक आर. डी. अग्रवाल ने किया l
कार्यक्रम संयोजक नवल डांगी तथा कार्यक्रम में इम्पीरियल प्राइम कैपिटल के कला रसिक मनीष अग्रवाल की ओर से कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कैमरा आलोक पारीक,मनोज स्वामी एवं जियान हुसैन, संगीत संयोजन मिहिजाम शर्मा, मंच सज्जा कवितेश शर्मा व अंकित शर्मा नानू की रही।