November 22, 2024, 7:12 pm
spot_imgspot_img

जवाहर कला केंद्र में बाड़मेर के कलाकारों की भव्य प्रस्तुतियां

जयपुर। राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जयपुर में इस बार के 27वें ‘लोकरंग महोत्सव’ ने गुलाबी नगरी में थार की सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। पश्चिमी राजस्थान की लोक धुनों और संतों की अमर वाणियों ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। बाड़मेर से आए कलाकारों के पांच सदस्यीय दल ने रंगोत्सव के पांचवे दिन बुधवार शाम को जवाहर कला केंद्र के मंच पर पारंपरिक वाद्ययंत्रों और रंग-बिरंगी पगड़ियों के साथ शानदार प्रस्तुतियां दीं। पश्चिमी राजस्थान के संतों की गूंजती वाणियों ने न केवल स्थानीय दर्शकों बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया।

लोक संस्कृति का अद्वितीय प्रदर्शन

राजस्थान की लोक संस्कृति, अपनी आध्यात्मिक गहराई और विविधता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ के संतों की वाणियां लोक परंपरा की आत्मा मानी जाती हैं। इस महोत्सव के मंच पर बाड़मेर से आए ‘मोरचंग ग्रुप’ ने वीणा, मंजीरा और ढोलक जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की सुरमयी झंकार के साथ संत कबीर, मीरां, तुलसी और दादू की वाणियों को प्रस्तुत किया। कलाकारों की रंग-बिरंगी पगड़ियों ने कार्यक्रम में राजस्थान की पारंपरिक छवि को और भी भव्यता प्रदान की।

कुभं वाणी एवं म्यूजिक प्रोडक्शन के डायरेक्टर एवं कार्यक्रम समन्वयक कुंभाराम गोदारा भाडखा के निर्देशन में बाड़मेर के सुरेश कुमार डूडी, भवेंद्र बैरड़ उर्फ मिस्टर भोमजी, ढोलक वादक मुस्ताक खान सहित अन्य कलाकारों ने लोक संगीत के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का संकल्प लिया है।

थार के युवाओं का सांस्कृतिक संरक्षण का प्रयास

मोरचंग ग्रुप के प्रमुख गायक सुरेश कुमार डूडी ने बताया कि यह म्यूजिकल पोएट्री का नया कॉन्सेप्ट है जिसमें पुराने को नए रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इस प्रस्तुति ने दर्शकों को राजस्थान की गहरी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का अवसर दिया। उनके मुताबिक, यह कॉन्सेप्ट पूरी तरह से सफल रहा और दर्शकों से मिला समर्थन उम्मीद से अधिक था। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को देश-विदेश के विभिन्न मंचों तक लेकर जाने की योजना है, ताकि राजस्थान की समृद्ध लोक परंपरा को संरक्षित करते हुए उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके।

विदेशी पर्यटकों पर लोक संगीत का प्रभाव

महोत्सव में भारतीय दर्शकों के साथ विदेशी पर्यटक भी सम्मोहित हुए। जयपुर के पर्यटन सीजन में इस महोत्सव ने विदेशी पर्यटकों को राजस्थान की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव कराने का अवसर प्रदान किया। वीणा की झंकार पर कबीर और मीरां के भजनों ने दर्शकों को इतना भावुक कर दिया कि वे खुद को नृत्य करने से नहीं रोक पाए। लोक संगीत की गहराई और मिठास ने सभी को भारतीय संस्कृति की विविधता से परिचित कराया।

अगले तीन दिन और गूंजेगी वीणा की झंकार

विख्यात युवा भजनी ओमाराम गर्ग आटी के अनुसार, अगले तीन दिनों तक राजधानी के विभिन्न मंचों पर बाड़मेर के मोरचंग ग्रुप के युवा कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को लोक संस्कृति का नया अनुभव देंगे। ये कलाकार राजस्थान विश्वविद्यालय, बिरला ऑडिटोरियम, एम. एन. आई. टी. जयपुर सहित कई प्रतिष्ठित मंचों पर प्रस्तुतियां देंगे, जिससे नई पीढ़ी को भी इस सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराया जाएगा।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles