जयपुर। गुप्त नवरात्र के छठे दिन गुरुवार को शुभ योग में मां त्रिपुर भैरवी की तांत्रिक पद्धति से आराधना की गई। देवी मंदिरों में बीज मंत्रों को सिद्ध करने के लिए चल रहे विशेष अनुष्ठान में साधकों ने गुप्त साधनाएं की। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि गुप्त नवरात्र में लगातार विशेष योग का संयोग बन रहा है। शुक्रवार 12 जुलाई को रवियोग, सिद्ध योग, 13 जुलाई को जयद योग, 14 जुलाई को शिव योग, सिद्ध योग, रवियोग, जयद योग, 15 जुलाई को साध्य योग, रवियोग, जयद योग के साथ बालव, कौलव, तैतिल योग और शिव वास योग का संयोग बन रहा है।
उल्लेखनीय है कि आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 6 जुलाई से शुरू हुए नवरात्र 15 जुलाई तक चलेंगे। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन अश्व पर हुआ है। तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व है। आमेर के शिला माता, मनसा माता, पुरानी बस्ती के रुद्र घंटेश्वरी, घाटगेट श्मशान स्थित काली मंदिर, दुर्गापुरा स्थित दुर्गामाता मंदिर में गुप्त नवरात्र में विशेष अनुष्ठान हो रहे हैं। मां काली के उपासक इस अवधि में रात्रि को तंत्र साधना में जुटे हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि गुप्त नवरात्रा में नौ महाविद्याओं मां काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी देवी की साधना की जाती है। साल में चार नवरात्रि होत है। चैत्र और आश्विन में प्रकट नवरात्रि तथा आषाढ़ और माघ मास में गुप्त नवरात्र होते हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान अबूझ मुहूर्त भड़ल्या नवमी पर एक साथ सात शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।
इस योग का निर्माण सुबह सात बजे तक है। इसके बाद साध्य योग का संयोग बन रहा है। नवमी पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। यह योग दिन भर रहेगा है। भड़ल्या नवमी पर शिव वास योग का भी संयोग बन रहा है। साथ ही अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक है। इस दिन बालव, कौलव और तैतिल योग का भी निर्माण हो रहा है।