जयपुर। सांगानेर मालपुरा गेट के निकट स्थित हरिहर मन्दिर(गुरुद्वारा) के पवित्र प्रांगण में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान जयपुर शाखा के तत्वावधान में गुरुवार को पांच दिवसीय हरि कथा के चतुर्थ दिवस का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस दौरान दीप प्रज्वलन एवं भजन गायन के साथ कार्यक्रम का आरंभ हुआ। इस अवसर पर दिव्यगुरु श्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या व कथा व्यास साध्वी लोकेशा भारती जी ने महाभारत की परम् कृष्ण भक्त द्रौपदी के साथ घटित हुई घटनाओं का मार्मिक विवेचना की ।
उन्होंने बताया कि ” द्वापर युग में जब परम् प्रतापी पाण्डवों की रानी द्रौपदी का भरे दरबार में चीर हरण किया जा रहा था तब किस प्रकार युगपुरुष भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी के अस्मिता की रक्षा की । द्रौपदी के जीवन का उदाहरण देते हुए साध्वीजी ने बताया कि किस प्रकार ईश्वर हमारे द्वारा बढ़ाए गए एक कदम के बदले वह हमारी ओर हजारों कदम चल कर आता है । द्वापर युग में तो सिर्फ़ एक द्रोपदी की चीर हरण की गई थी किन्तु आज इस घोर कलिकाल में हर गली मोहल्ले में सैकड़ों द्रौपदीयां अपनी अस्मिता को खो रही है । फिर क्यों आज कृष्ण प्रगट नहीं हो रहें हैं ? कृष्ण इसलिए नहीं प्रगट हो रहें हैं क्योंकि हम उन्हें बुला नहीं पा रहें हैं ।
अनादि काल से ईश्वर को प्रगट करने का एकमात्र साधन है..ब्रह्मज्ञान। अर्थात् जब हम पूर्ण गुरु के शरण में जाकर उस परम पावन कल्याणकारी ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर अपने अंतर्घट में ईश्वर का दर्शन करेंगे तो प्रभु हमारे एक पुकार में प्रगट होंगे। पूर्ण सदगुरु ब्रह्मज्ञान देकर हमें शाश्वत चार पदार्थ से साक्षत्कार करवाते है । इस दौरान साध्वी जी कहा कि यह संसार एक माया जिसे स्वयं ईश्वर ने बनाया है । इसलिए हम सभी को इस माया के भ्रम से निकलना आवश्यक है। और इससे मुक्त का एकमात्र यंत्र है भक्ति, ईश्वर दर्शन । कार्यक्रम के दौरान “ये जो आँखें है हमारी मिल गई है श्याम से, अब कहीं और नजरें मिलाने की हमें फुरसत नहीं…” आदि जैसे भक्तिमय भजनों में उपस्थित श्रद्धालु भाव – विभोर होकर झूम उठे।
तदोपरांत हरि आरती एवं दिव्य प्रसाद के साथ चौथे दिवस का समापन हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान श्रीमान नरेश कुमार जी (बिजनिसमैन ), श्रीमान अनुज कुमार जी (समाजसेवी ), राजस्थान धड़कन न्यूज़ से श्रीमान चंद्रभान जी सक्सेना श्रीमान दामोदर लाल जी नागर (पूर्व प्रत्यासी पार्षद ) एवं उनकी धर्मपत्नी भगवती देवी , श्रीमान लक्ष्मीनारायण जी नागर (कनिष्ठ लिपिक ) एवं उनकी धर्मपत्नी शान्ति देवी, श्रीमान प्रेमचंद जी जाजोरिया (रैगर समाज अध्यक्ष ) एवं आस-पास के सम्मानित व्यक्ति, समाजसेवी सहित सैकड़ों की संख्या में शहरवासी उपस्थित थे।