जयपुर। इस बार धुलंडी के दिन केवल प्राकृतिक रंगों से होली खेलने के लिए विभिन्न संगठनों ने बीड़ा उठाया है। उन्होंने इस दिशा में जमीनी स्तर पर प्रयास भी किए है। पर्यावरण गतिविधि राजस्थान के प्रांत संयोजक अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले दिनों नैमिषारण्य में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जिसमें बताया कि गया कि हमें धरती को केमिकल मुक्त बनाने की दिशा में कार्य करना होगा अन्यथा धरती बंजर हो जाएगी। साबुन, शैंपू, वॉशिंग पाउडर का उपयोग बंद कर इसके विकल्प तलाशने होंगे। इसी कड़ी में होली पर हर्बल गुलाल के उपयोग पर जोर देना होगा।
इसी कड़ी में मुरलीपुरा स्थित संस्कृति चिल्ड्रन एकेडमी में हर्बल होली कलर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। बच्चों को चुकंदर, हल्दी, पालक और फूलों से रासायनिक मुक्त हर्बल रंग तैयार करना सिखाया।
विद्यालय में इन हर्बल रंगों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। शिक्षक, अभिभावक और नर्सरी से 5वीं कक्षा के छात्र इन रंगों को देख और खरीद सकेंगे। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों को स्वदेशी और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से अवगत कराना है। आयुष शर्मा ने बताया कि इस अनूठी पहल से जहां छात्रों को नवाचार और रचनात्मकता का अवसर मिला, वहीं अभिभावकों ने भी विद्यालय के इस प्रयास की सराहना की।