जयपुर। पंचांग के अनुसार होलिका दहन से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं जो इस वर्ष 17 मार्च से 25 मार्च तक लगेगा। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान इन आठ दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जाते लेकिन देवी-देवताओं की आराधना के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं। इन आठ दिनों के मध्य विवाह संस्कार,मुंडन संस्कार,गृह प्रवेश,मकान,जमीन,वाहन क्रय और विक्रय आदि निषेध माने गए हैं। 17 मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे जो 25 मार्च को समाप्त होंगे। 14 मार्च से सूर्य देव मीन राशि में गोचर करेंगे।
ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि सूर्य के मीन राशि के गोचर में कोई शुभ काम नहीं किया जाता हैं। मीन मलमास 14 मार्च से 14 अप्रैल तक रहेगा। होलिका दहन 24 मार्च के दिन होगा। इस बार होलिका दहन पर भद्रा की छाया रहेगी। 24 मार्च (रविवार) को भद्रा सुबह 9.55 से रात्रि 11.13 तक रहेगी। होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त 24 मार्च को रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से रात्रि 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। भद्रा पुच्छ काल के समय रविवार को शाम 6.35 मिनट से 7.53 मिनट के बीच में भी होलिका दहन किया जा सकता हैं। चंद्रमा जब कर्क,सिंह,कुंभ और मीन राशि में गोचर करता हैं तब भद्रा विष्टि करण योग का निर्माण होता हैं।