जयपुर। कुछ दिन बाद ही होली का त्योहार आने वाला है और लोगों को रंग-बिरंगे रंगों से होली खेलने का एक अलग ही एहसास होता है। होली आने के कुछ दिनों पहले ही रंगों के बाजार सजने लग गए। लोगों की होली खेलने के लिए पहली पसंद गुलाल होती है।
अभी बाजार में लाल, हरा, गुलाबी, पीला, जामुनी गुलाल मिल रहा है। लोग कलर की बजाए गुलाल होली खेलना पसंद कर रही है और इन दिनों जयपुर शहर में गुलाब की खपत काफी संख्या में हो रही है। जिसे देख गुलाब बनाने वाले मालिको की आशंका जताई है कि इस बार भी इस होली को करोड़ों रुपये का व्यापार होगा।
फैक्ट्री कर्मचारी अरविंद सैनी ने बताया कि गुलाल बनाने के लिए पहले अरारोट के चूर्ण में रंग मिलाया जाता है। कुछ समय बाद इसमें सेंट का प्रयोग किया जाता है। स्ट्रॉस गुलाल यानी अरारोट के चूर्ण से बना गुलाल बहुत ही मुलायम होता है। सफेद रंग के अरारोट के चूर्ण में रंग मिलाकर उसे मशीनों से पीसा जाता है। पीसने से पाउडर में रंग मिल जाता है और उसकी कोमलता भी बढ़ जाती है।
पुराने समय में सभी काम हाथों से होता था। आज भी कुछ दुकानें है जहां पर कारीगर आज भी हाथों से गुलाल बनाते है। बदलते दौर में गुलाल बनाने में मशीनों का उपयोग किया जाता है। अरारोट के पाउडर में रंग डालकर मशीन में डालकर गुलाल बनाया जाता है ताकि रंग पाउडर में मिल जाए। इस दौरान पाउडर गीला हो जाता है जिसके बाद उसे सुखाया जाता है। इसके बाद इसे फिर से मशीन में डालकर पीस लिया जाता है, जिससे गुलाल नरम रहता है।