जयपुर। होली के पावन पर्व पर कुछ लोग होली खेलने से कतराते है। जिसके पीछे की धारण ये है कि होली के रंग और गुलाल में केमिकल मिलाया जाता है। जो त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। लेकिन होली के रंग में भग ना पड़े इसके लिए राजधानी जयपुर में केमिकल फ्री गुलाल बनाया जा रहा है। जिसकी शुरुआत सांगानेर,टोंक रोड स्थित पिंजरापोल गौशाला में स्थित जैविक वन औषधीय पादप केन्द्र में कि जा चुकी है।
गुलाल बनाने वाले अंतरराष्ट्रीय संयोजक अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के अतुल गुप्ता ने बताया पहले तो गुलाल और कलर बनाने के लिए मार्बल पाउडर का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन बदलते युग में अब हर्बल गुलाल और कलर तैयार किया जा रहा है। जिसके इस्तेमाल से त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता।
अतुल गुप्ता ने बताया कि रंग -गुलाल बनाने के लिए अब सब्जियों की पत्तियों और फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। गुलाल और रंग के लिए पालक के पत्ते,सेम के पत्ते,पलाश के फूल,गेंदे के फूल और गुलाब के फूल से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है । जिनकी डिमांड विदेशों में भी धमाल मचा रहीं है।
ऐसे तैयार किया जाता है हर्बल गुलाल
हर्बल गुलाल बनाने के लिए सबसे पहले सब्जियों की पत्तियों और फूलों को उबालकर उसमें अररोट मिलाई जाती है और फिर उन्हे गूंथा जाता है। जिसके बाद उसके मिश्रण को धूप में सुखाते है। जिसके पश्चात पलव लाइजर मशीन में डालकर उसे अच्छी तरह से मिक्स किया जाता है। जो सूखने के बाद हर्बल गुलाब का रूप लेता है।

हरा गुलाल बनाने के लिए पालक का किया जाता है इस्तेमाल
बाजारों में कई तरह के गुलाल बिकने के लिए आते है। लेकिन हरे रंग का हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए पालक और सेम के पत्तों का उपयोग किया जाता है और पीले गुलाल के लिए गेंदे के फूल का उपयोग होता है। इसी तरह लाल गुलाल बनाने के लिए पलाश के फूल व गुलाबी रंग के हर्बल गुलाल में गुलाब के फूलों का इस्तेमाल होता है। हर्बल गुलाल को सुगंधित बनाने के लिए फेस पाउडर मिलाया जाता है। जो ब्रांडेड कंपनी का होता है।
विदेशों में भी है हर्बल गुलाल की डिमांड
हर्बल गुलाल की मांग पूरे भारत के अलावा विदेशों में है। बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष हर्बल गुलाल दिल्ली स्थित अमेरिका एंबेसी के माध्यम से अमेरिका तक पहुंच चुकी है। विदेशों में रहने वाले भारतीयों की यह पहली पसंद है। इस बार भी हर्बल गुलाल की अमेरिका सहित कई दूसरे देशों में सप्लाई की जा रही है।
डॉक्टर भी देते है केमिकल फ्री रंग -गुलाल इस्तेमाल करने की सलाह
लैब टेक्नीशियन सवाई मानसिंह अस्पताल के जितेंद्र यादव ने बताया कि होली को लेकर बाजारों में कई तरह के केमिकल युक्त रंग-गुलाल बिक रहे है। रंगों में मिले केमिकल के उपयोग से आंखों और स्किन में एलर्जी के साथ-साथ सांस लेने में काफी परेशानी आती है और गंभीरं समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे में होली खेलते वक्त हर्बल गुलाल का उपयोग बेहतर है।