जयपुर । फुलेरा से बानसूर तक सड़को का विकास, टैक्सी-बस के होंगे टोल माफ। महिला वाहन मालिक को मिलेगा 500 प्रति माह पेट्रोल और टैक्स फ्री होगा खाद्य। युवाओ को नौकरी न मिलने तक देंगे 2000 प्रति माह। यह दावे हैं जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से स्वतंत्र प्रत्याशी कान्हावी के, जिन्होंने जयपुर से बानसूर तक महास्वतंत्रता रैली के जरिए क्षेत्र की जनता से संपर्क साधा और उनकी समस्याओं को जानकर उनके समाधान का विश्वास दिलाया।
जयपुर ग्रामीण से स्वतंत्र प्रत्याशी कान्हावी टैक्स प्रणाली में सुधार लाने के उदेश्य और जनता के चुकाए गए टैक्स का उपयोग उनके द्वारा न होने पर खेद व्यक्त करती हैं। इसी मुहीम के लिए उन्होंने जयपुर से बानसूर तक महास्वतंत्रता रैली की। कान्हावी ने बताया की महिलाओ के सम्मान की बात तो चुनावी मुद्दा है लेकिन धरातल पर इस पर कोई काम नहीं होता, राजनैतिक दल मुद्दे उठाते है और एक दूसरे के दलों पर टिप्पणियां करते और उन्हें ऊँचा नीचे दिखाने में ही सारा समय खत्म कर देते है। हमें इतने हिस्सों में बाँट दिया गया है की हम खुद ही हमारे हिस्से की मानसिक आजादी नहीं जी पा रहे है।
कान्हावी ने सरकार और पार्टियों पर हल्ला बोलते हुए कहा कि सरकारों ने सदैव अन्धविश्वास का फायदा उठाया है उन्होंने हमे एक मुद्दे की तरह उपयोग किया है। देश के टैक्स पयेर को एक प्रतिशत भी कोई प्रकार का प्रोत्साहन नहीं दिया जाता। क्या यह उचित है की जो देश की अर्थव्यवस्था को चलाने में सुबह से शाम तक अपना खून पसीना एक करते है उन्हें आप वर्ग, पार्टी या लिंगवाद में बाँट कर उनका शोषण करते रहे।
मेरा यह कदम युवाओ को आगे लेन का प्रयास है की अपने हक़ के लिए ज्ञान अर्जित करे और आवाज उठाये। मैं किसी पार्टी की विचारधारा से नहीं ब्लकि एक सामान्य जन जीवन की जीवन शैली की परेशानियों के अनुभव से गुजर कर यहाँ पहुंची हूं, ताकि जनता के समक्ष उनकी मूल समस्याओ को रख सकूं। मेरी आगामी अश्व यात्रा जयपुर के वैशाली नगर से झोटवारा तक की जाएगी जिसमें जन सामान्य चाहे तो समर्धन कर अपनी जागरूकता का परिचय दे।
उन्होंने आगे बताया कि मेरे मुद्दे चुनावी नहीं बल्कि वास्तविक हैं, क्योंकि मैं किसी राजनैतिक दल का हिस्सा नहीं हूं तो मेरा किसी और को नीचे या ऊँचा दिखने का उदेश्य भी नहीं है। उदेश्य केवल ये है की टैक्स फ्री हो देश और कारोबार, हो सड़को का विस्तार और विकास, सदैव सहायक हो महिला पुरुष एक दूजे के, अब और ज्यादा न बंटे जातियों प्रजातियों में हिंदुस्तान।