November 21, 2024, 11:02 pm
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यूएनएफपीए एवं राजस्थान पुलिस अकादमी का अन्तर्विभागीय संवाद सेमिनार

जयपुर। राजस्थान पुलिस अकादमी एवं संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के संयुक्त तत्वावधान में जेंडर आधारित हिंसा और इसकी हार्मफुल प्रेक्टिसेज की समस्या के परिवर्तनकारी समाधान, प्रभावी निष्पादन, रोकथाम के उपाय आदि को लेकर मंगलवार को राजस्थान पुलिस अकादमी के सभागार में एक दिवसीय अंतर्विभागीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान ज्ञान प्रबंधन उत्पादों के रूप में ’’एन इनफॉर्मेटिव बुकलेट ऑन एड्रेसिंग टेक्नोलॉजी-फैसिलिटेटेड जेंडर बेस्ड वायोलेंस’’ पुस्तिका का विमोचन किया गया, वहीं ’’बेटा-बेटी एक समान, दोनों को मिले अवसर समान’’ तथा पीसीपीएनडीटी तथा कम्युनिटी पुलिसिंग से संबंधित लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया गया।

पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने यूएनएफपीए को भारत में कार्य करते हुए 50 वर्ष पूर्ण होने पर वर्षगांठ की बधाई दी। उन्होंने कहा कि यूएनएफपीए के अधिकारी, प्रशिक्षु पुलिस अधिकारी, जोधपुर विधि विश्वविद्यालय से आए अकादमिक अध्येता, सुरक्षा सखी, निर्भया स्कवॉड में कार्यरत पुलिसकर्मी, विभिन्न अधिकारी एवं कार्मिक तथा संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी सभी के मध्य जेण्डर आधारित संवेदनशील एवं महत्त्वपूर्ण विषयक मुद्दे पर आयोजित की जा रही सेमिनार वर्तमान समय में काफी अहम एवं प्रासंगिक है।

डीजीपी डॉ मेहरड़ा ने कहा कि ’’यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवता’’ जैसी मूल भावना हमारी भारतीय संस्कृति एवं समृद्ध परम्परा की थाती है। नारी को सर्वोच्च आदर्श मानकर हमने सदैव उन्हें ज्ञान, धन और शक्ति की देवियों के रूप में सर्वोच्च आराध्य आदर्श मानकर प्रतिष्ठापित किया है। पुलिस के साथ अन्य सभी संबंधित विभाग आपसी समन्वय स्थापित कर एकरूपता, समता, समानता, सार्वभौमिकता, जागरूकता और सामूहिक प्रयासों व कानूनों के कडे़ व प्रभावी प्रवर्तन के माध्यम से हम लिंग आधारित हिंसा को धाराशायी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल फुटप्रिंट अमिट प्रकृति के होते हैं, जिन्हें अपराधी अवांछित उपयोग के लिए विकसित कर सकते हैं। इनका सावधानीपूर्वक उपयोग व दुरुपयोग से बचाव के लिए पूर्ण जागरूकता अपरिहार्य है।

समाज की मानसिकता में बदलाव जरूरी: एंड्रिया एम. वॉज्नार

यूएनएफपीए की भारत की प्रतिनिधि एवं कन्ट्री डायरेक्टर, भूटान एण्ड्रिया एम. वॉज्नार ने अपने उद्बोधन की नमस्कार से शुरूआत करते हुए कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि राजस्थान पुलिस का नेतृत्व एवं अधिकारीगण जेण्डर इश्यूज़ जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सक्रिय रहकर कार्य कर रहे है जो कि सबके लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की प्रशंसा करते हुए इनके सकारात्मक परिणामों की आशा जताई और कहा कि शिक्षा एवं जागरूकता की कमी को दूर कर आर्थिक विषमता के बावजूद भी लैंगिक परिस्थितियों को नॉलेज एवं एटीट्यूड के जरिए परिवर्तित किया जा सकता है। इसके लिए जनमानस, नागरिकों व परिवेश में माइंडसेट चेंज की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि जेंडर इक्वलिटी व महिला सशक्तिकरण की दिशा में सकारात्मक प्रयासों के लिए पुलिस को जवाबदेह रिस्पांस करना जरूरी है। उन्होंने राजस्थान पुलिस की इन्स्पाइरिंग लीडरशिप, करेज एवं सहयोगात्मक रवैये के लिए धन्यवाद एवं आभार ज्ञापित किया। एडीजीपी ट्रेनिंग अशोक राठौड़ ने कहा कि जेंडर बेस्ड महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर आयोजित की जा रही यह सेमिनार वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं सभी के लिए उपयोगी है। उन्होंने ’’राम खेलने जा और सीता खाना ला’’ का उदाहरण देते हुए समाज में अतीत से व्याप्त जेण्डर असमानता अथवा विषमता की सामाजिक मानसिकता की कारा को तोड़कर जागरूक होने पर बल दिया।

एडीजीपी एवं निदेशक एस. सेंगाथिर ने कार्यक्रम के शुभारंभ में स्वागत उद्बोधन दिया और कहा कि चाहे विश्व की बात हो, भारत या फिर राजस्थान, जेंडर समानता का मुद्दा बड़ा ही संवेदनशील है। जेण्डर अथवा, बाल या महिला अत्याचार एवं उत्पीड़न को रोकने को लेकर राजस्थान पुलिस एवं यूएनएफपीए समन्वयन एवं बहुसंयोजन के साथ मिलकर आगे बढ़ रहे हैं और ऐसे मामलों के नियंत्रण व रोकथाम की दिषा में सार्थक व कारगर प्रयास सतत किए जा रहे हैं। बेहतर तकनीक की मदद से सोशल मास को समतामूलक बनाने की ओर बेहतरीन काम किया जा रहा है।

उन्होंने उपस्थित प्रतिभागी पुलिसकर्मियों को सुझाव दिया कि पुलिस को चाहिए कि वह रिएक्शनरी मॉड की जगह प्रोएक्टिव रहते हुए प्रिवेन्टिव मॉड यानी बचाव ही उपचार की शैली पर कार्य करे ताकि जेण्डर बेस्ड हिंसा की कारगार रोकथाम सुनिश्चित की जा सके। स्टेट हेड यूएनएफपीए डॉ. दीपेश गुप्ता ने बताया कि यूएनएफपीए विगत 50 वर्षों से लगातार लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर भारत में कार्य कर रहा है ताकि जेण्डर बेस्ड वायलेंस को जीरो किया जा सके। उन्होंने इस दौरान किए गए कार्यों की एक समीक्षा रिपोर्ट भी पेश की और राजस्थान पुलिस की कार्यप्रणाली व सहयोग के लिए सराहना करते हुए एक लघु फिल्म-’’थैंक यू राजस्थान पुलिस टू सपोर्ट यूएनएफपीए’’ का प्रदर्शन भी किया।

इन विषयों पर आयोजित हुए पैनल डिस्कशन

कार्यक्रम में ’’मल्टी सेक्टोरल कॉलोब्रेशन अक्रॉस द सॉशियो इकॉलोजिकल मॉडल टू कॉम्बेट जेंडर बेस्ड वायोलेंस एण्ड हार्मफुल प्रेक्टिसेज’’ पर पहला पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया। जिसे एडीजीपी सिविल राइट्स मालिनी अग्रवाल आईपीएस ने बतौर वक्ता संबोधित किया एवं विकासात्मक अध्ययन संस्थान, जयपुर की पूर्व प्रोफेसर शोभिता राजागोपाल ने मॉडरेट किया। वहीं दूसरा पैनल डिस्कशन ’’कॉम्बैटिंग टैक-फैसिलिटेटेड जैन्डर बेस्ड वायोलैंस एण्ड इनोवेशन टू डील विद् जेन्डर बेस्ड वायोलेंस पर विषय विशेषज्ञों डीजीपी इंटेलीजेंस संजय अग्रवाल एवं एडीजीपी एटीएस एवं एसओजी वी के सिंह ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। इस सेशन को संजय स यूनीसेफ की मंजरी पंत ने मॉडरेट किया।

सेमिनार के दौरान व्यक्तिगत, निजी व संवेदनशील डाटा के दुरूपयोग से सावधान रहने, इन्फॉर्मेशन लीक, प्राइवेसी, पाइरेसी, ट्रॉलिंग, साइबर स्पेस में डेटा मेनीपुलेशन, साइबर फ्रॉड, डोजिंग, इमेजेज बेस्ड अब्यूज, डीप एवं शेलोफेक, क्रीप शॉट, साइबर फ्लेषिंग, बुलिंग व फिशिंग, ऑनलाइन इम्पर्सोनेशन, आदि से सावधानी बरतते हुए संभलकर सुरक्षात्मक मानदण्डों के साथ उपयोग पर जोर दिया गया।

आईटी एक्ट 2000 के 43, 66-सी, 67, 67-बी आदि उपबंधों के तहत 3 वर्ष की सजा एवं 1 लाख जुर्माना, साइबर ग्रुमिंग, स्टॉकिंग, मॉब, जेन्डर ट्रॉलिंग, डिजिटल अरेस्ट, भारतीय न्याय संहिता के सेक्षन 319, आईटी एक्ट 2020 की धारा 66 डी आदि पर गहन चर्चा की गई और पुलिस थाना नम्बर-100, हैल्पडेस्क नम्बर-104, साइबर क्राइम हैल्पलाइन नम्बर-1930, वीमन हैल्पलाइन नम्बर-181 एवं 1090 आदि की विस्तृत जानकारी दी गई। इस दौरान लैंगिक समानता से संबंधित समन्वित व सकारात्मक प्रयासां के लिए सराहनीय कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों व पुलिस वॉलियन्टर्स को सम्मानित किया गया।

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