April 24, 2025, 6:45 am
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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 ने 18वें संस्करण के लिए बहुआयामी कार्यक्रम का अनावरण किया

जयपुर।‘धरती के सबसे बड़े साहित्य उत्सव’ के रूप में प्रसिद्ध जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल अपने 18वें संस्करण के साथ फिर से साहित्य प्रेमियों को लुभाने के लिए तैयार है। उत्सव का आयोजन होटल क्लार्क्स आमेर, जयपुर में 30 जनवरी से 3 फरवरी, 2025 तक किया जाएगा। भारत की अग्रणी क्यूरेशन कंपनी एवं फेस्टिवल प्रोड्यूसर टीमवर्क आर्ट्स ने उत्सव के दौरान आयोजित किए जाने वाले संवाद सत्रों की पहली सूची जारी कर दी है। ये सत्र एक बार फिर पुस्तकों एवं विचारों की परिवर्तनकारी ताकत को मजबूती से प्रदर्शित करते नजर आएंगे।

समृद्ध विरासत के साथ यह उत्सव स्थानीय एवं वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधि स्वरों के लिए महत्वपूर्ण मंच रहा है। आगामी संस्करण में बहुत सावधानी से तैयार किए गए लाइनअप के साथ संवाद सत्रों का आयोजन किया जाएगा, वैचारिक विभाजन को खत्म किया जाएगा और विभिन्न अवधारणाओं को सामने रखा जाएगा। 300 से ज्यादा प्रतिष्ठित वक्ताओं के साथ इस साल उत्सव में वाद-विवाद, परिचर्चा एवं कहानियां सुनने का मौका मिलेगा।

घोषित सत्रों में निम्नलिखित सत्र शामिल हैं:
• पुअर इकोनॉमिक्स फॉर द यंग

अपनी लोकप्रिय पुस्तक ‘पुअर इकोनॉमिक्स फॉर किड्स’ में नोबेल पुरस्कार विजेता एस्थर डुफ्लो और प्रसिद्ध इलस्ट्रेटर चेयेन ओलिवर ने युवा पाठकों के लिए अर्थव्यवस्था की विभिन्न धारणाओं को विस्तार से बताया है, जिससे उनका दिमाग खुले और वे अपने विचारों को विस्तार दे सकें। डुफ्लो और ओलिवर साथ मिलकर सामाजिक जागरूकता एवं सहानुभूति की प्रारंभिक अवधारणाओं पर चर्चा करेंगे, जिन्हें स्थापित करने का प्रयास किया गया है।

• हमारा शहर उस बरस (अवर सिटी दैट ईयर)
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि ने ‘हमारा शहर उस बरस’ में समाज, दोस्तों एवं लोगों की मानसिकता एवं बिखरे हुए माहौल पर चौंकाने वाली अंतर्दृष्टि पेश की है, जो सांप्रदायिकता की विभाजनकारी प्रवृत्ति को दिखाता है। इसका अनुवाद अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता अनुवादक डेजी रॉकवेल ने ‘अवर सिटी दैट ईयर’ के रूप में किया है। इस सत्र में गीतांजलि श्री बताएंगी कि जब सांप्रदायिक विभाजन वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है, ऐसे में किस तरह से उनका उपन्यास किसी भी वर्ष में किसी भी शहर की कहानी को सामने रखता है।

• डेविड हेयर: थिएटर एवं फिल्मों में जीवन
द सीक्रेट रैप्चर, द एब्सेंस ऑफ वॉर और स्काईलाइट जैसी प्रतिष्ठित कृतियों के लेखक और बाफ्टा पुरस्कार विजेता नाटककार डेविड हेयर, इस सत्र में अपनी रचनात्मक प्रक्रिया एवं उन प्रेरणाओं व पलों के बारे में जानकारी देंगे, जिनसे उनके करियर को आकार मिला है। हेयर को ‘ब्रिटेन के सर्वश्रेष्ठ जीवित नाटककार’ के रूप में जाना जाता है।

भारत के प्रारंभिक राजनयिक
नेहरूवादी विदेश नीति और आंतरिक एकीकरण व बाहरी खतरे के बीच की संवेदनशील रेखा पर चलने वाले राजनयिकों की पहली कतार के बारे में पत्रकार कल्लोल भट्टाचार्जी की पुस्तक ‘नेहरूज फर्स्ट रिक्रूट्स: द डिप्लोमेट्स हू बिल्ट इंडिपेंडेंट इंडियाज फॉरेन पॉलिसी’ में विस्तार से बताया गया है। इस सत्र में बताया जाएगा कि राजनयिक किस तरह से शासन-प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें भट्टाचार्जी पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त टीसीए राघवन, लेखक एवं पूर्व राजनयिक नवतेज सरना, संयुक्त राष्ट्र में पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी और कनाडा में भारत के पूर्व उच्चायुक्त विकास स्वरूप से बातचीत करेंगे।

• रोमन ईयर: एक संस्मरण
लेखक, सीयूएनआई के प्रतिष्ठित प्रोफेसर एवं व्हिटिंग पुरस्कार विजेता आंद्रे एसीमैन ने 17 से अधिक फिक्शन एवं नॉन-फिक्शन रचनाएं की हैं। ‘कॉल मी बाय योर नेम’ में प्रेम, हानि एवं किशोरावस्था के कोमल चित्रण के लिए वैश्विक स्तर पर प्रशंसा प्राप्त एसीमैन अपनी दिलचस्प कहानियों और भावनाओं को बेबाक तरीके से रखने के लिए प्रसिद्ध हैं। इस सत्र में बेस्टसेलिंग ऑथर आंद्रे एसीमैन उपन्यासकार शिवानी सिब्बल के साथ प्रेम, स्मृति एवं पहचान के माध्यम से अपनी यात्रा के बारे में बात करेंगे।

• कैरोस: द हार्ट डिवाइडेड
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2024 की विजेता जेनी एर्पेनबेक की पुस्तक कैरोस: द हार्ट डिवाइडेड 1980 के दशक के पूर्वी बर्लिन की पृष्ठभूमि में लिखी गई है। इसकी कहानी एक भावपूर्ण लेकिन विनाशकारी प्रेम प्रसंग के इर्द-गिर्द केंद्रित है। इसका अनुवाद माइकल हॉफमैन ने किया है। यह कहानी बताती है कि जैसे-जैसे देश बिखरते हैं, वैसे-वैसे रिश्ते भी टूटते हैं। यह कहानी सत्ता, विश्वासघात एवं परिवर्तनशील युग में लोगों की बदलती निष्ठा के जटिल पहलुओं को उजागर करती है। एर्पेनबेक और हॉफमैन इस गहन चिंतनशील सत्र में कला एवं राजनीति को एक साथ लाते हुए चयन एवं भाग्य से जुड़े तनावों के दर्शनशास्त्र पर चिंतन करेंगे।

• द पर्सनल इज पॉलिटिकल: एक सामाजिक कार्यकर्ता की आत्मकथा
पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय की सशक्त आत्मकथा ‘द पर्सनल इज पॉलिटिकल’ भारत में सरकारी सेवा से उनके गहन जुड़ाव के साथ-साथ दशकों की उनकी व्यक्तिगत यात्रा को भी दर्शाती है। इस सत्र में वह अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों पर चर्चा करेंगी। इसमें ‘सूचना का अधिकार अधिनियम’ पारित कराने के अभियान का नेतृत्व करने और सरकार को उसके कार्यों के बारे में पारदर्शी होने के लिए प्रेरित करने जैसे प्रयास शामिल हैं। साथ ही वह सामाजिक कार्य और अनुसंधान केंद्र में तिलोनिया में स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने में अपने योगदान पर भी चर्चा करेंगी।

• हम मरते क्यों हैं: बढ़ती उम्र का नया विज्ञान और अमरता की चाहत
नोबेल पुरस्कार विजेता और संरचनात्मक जीवविज्ञानी (स्ट्रक्चरल बायोलॉजिस्ट) वेंकी रामकृष्णन की नई किताब ‘व्हाई वी डाई’ (हम मरते क्यों हैं) मृत्यु के प्रति मानवीय आकर्षण एवं भय को रेखांकित करती है। जीव विज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान की सीमाओं से परे जाते हुए रामकृष्णन मृत्यु दर एवं मानव शरीर विज्ञान के भीतर होने वाले परिवर्तनों पर सवाल उठाते हैं। रोजर हाईफील्ड के साथ बातचीत में रामकृष्णन मानव अस्तित्व के ‘चीट कोड’ और अमरता की खोज का मूल्यांकन करते नजर आएंगे।

• द अपसाइड-डाउन वर्ल्ड: डच मास्टर्स से मुलाकात
बेंजामिन मोजर की ‘द अपसाइड-डाउन वर्ल्ड’ डच कलाकारों के प्रति एक श्रद्धांजलि है, जो पाठकों को हॉलैंड में बिताए गए उनके बीस साल के सफर से परिचित कराती है। इसमें एक युवा लेखक के रूप में नीदरलैंड में उनके आगमन से लेकर डच कला के स्वर्ण युग को आकार देने वाले रचनात्मक गुरुओं की खोज तक का वर्णन किया गया है। वह बताते हैं कि कैसे उन्होंने लंबे समय से परिदृश्य से गायब चल रहे कलाकारों के बीच सांत्वना पाई और दोस्त बनाए। मोजर कला से जुड़े कई अंतहीन प्रश्नों पर चर्चा करेंगे कि हम क्यों कला का सृजन करते हैं और इसका क्या महत्व है।

• अमोल पालेकर: द व्यूफाइंडर
अपने संस्मरण द व्यूफाइंडर में प्रतिष्ठित अभिनेता-निर्देशक अमोल पालेकर अपने जीवन और करियर के बारे में बात करते हैं। साथ ही उन्होंने भारतीय सिनेमा और रचनात्मकता पर एक गहरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण भी सामने रखा है। फिल्म निर्माता संध्या गोखले के साथ मिलकर वह फेस्टिवल प्रोड्यूसर व टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय के. रॉय से खुलकर अपनी कहानियां एवं अंतर्दृष्टि साझा करेंगे, साथ ही पाठकों एवं श्रोताओं को भारतीय सिनेमा में कहानी कहने, कला एवं प्रदर्शन के विकास के माध्यम से एक रोचक यात्रा पर ले जाएंगे।

दो ऋषि: गांधी एवं टॉल्सटॉय
महात्मा गांधी और लियो टॉल्स्टॉय समकालीन थे और उनके बीच लंबी दोस्ती रही थी। वे दोनों कभी व्यक्तिगत रूप से मिले नहीं थे, फिर भी उनमें पत्रों का आदान-प्रदान रहता था। टॉल्स्टॉय की पुस्तक द किंगडम ऑफ गॉड इज विदिन यू से गांधी बहुत प्रभावित थे। इस सम्मोहक सत्र में उनके वंशज व दो प्रतिष्ठित विचारक गोपालकृष्ण गांधी और डेनियल टॉल्स्टॉय विचारों की विरासत पर बात करेंगे और अतीत एवं वर्तमान में उनकी प्रासंगिकता पर विमर्श करेंगे।

डीप वाटर: महासागर में दुनिया
समुद्र के साथ मानवता के जटिल संबंधों की व्यापक खोज करती लेखक जेम्स ब्रैडली की नवीनतम पुस्तक ‘डीप वॉटर’ जीवन के पालने, इतिहास की निर्णायक शक्ति एवं एक नाजुक जीवन रेखा के रूप में महासागर की भूमिका पर बात करती है। मृदुला रमेश, भारत में ऑस्ट्रेलियाई राजदूत फिलिप ग्रीन एवं पर्यावरणविद् युवान एवेस के साथ बातचीत में ब्रैडली इस पर्यावरणीय आवश्यकता और मानवता व पृथ्वी के बीच के अंतर्संबंधों पर चर्चा करेंगे।

लॉन्ग एंड द शॉर्ट
क्या संक्षिप्त होना ही बुद्धि की आत्मा है? क्या गंभीरता के लिए लम्बाई आवश्यक है? लेखन के विभिन्न रूपों के साथ किस तरह की चुनौतियां एवं सहूलियतें आती हैं? जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह-निदेशक और पुरस्कार विजेता लेखिका नमिता गोखले और लूसी कैलड्वेल महाकाव्य गाथाओं एवं बड़े उपन्यासों के रूप में दीर्घ-रूप लेखन (लॉन्ग फॉर्म राइटिंग) और लघु कथाओं, फ्लैश फिक्शन एवं छोटी पुस्तकों की विपरीत दुनिया के आकर्षण पर चर्चा करेंगी। लूसी की पुस्तक ‘ओपनिंग्स: थर्टीन स्टोरीज’ में प्रेम, हानि और समकालीन आयरलैंड में मानवीय स्थिति पर विमर्श किया गया है।

नमिता गोखले, फेस्टिवल को-डायरेक्टर, ने कहा: “जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 पुस्तकों एवं विचारों, संवाद एवं तर्कों, खोज एवं विभिन्न दृष्टिकोणों का एक डायनामिक मोजेक है। हम अपनी विभाजित दुनिया की बदलती वास्तविकताओं पर बात करेंगे और एक बेहतर दुनिया में प्रेरणा एवं विश्वास की खोज करेंगे। ‘मिस्टिक एंड मैडमैन’ से लेकर ‘इकोनॉमिक्स फॉर द यंग’ तक, भू-राजनीति से लेकर नालंदा के प्राचीन शिक्षाविदों तक, सभी तरह के स्वादभरे व्यंजनों से लेकर पहाड़ी स्तनधारियों तक, यहां खोज की एक अनवरत यात्रा होगी, जिसमें हर दिन नए आश्चर्य और नए दृश्य खुलेंगे।”

विलियम डेलरिंपल, फेस्टिवल को-डायरेक्टर, ने कहा: “जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का 2025 संस्करण हमारे आयोजन की मूल भावना को दर्शाता है, जो है विविध प्रतिनिधि स्वरों एवं शक्तिशाली कहानियों को सबके समक्ष रखना। यह उत्सव दुनियाभर के दर्शकों को जोड़ता है, चुनौती देता है और प्रेरित करता है। हम एक ऐसी लाइनअप पेश करने के लिए रोमांचित हैं, जो बौद्धिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के इस महोत्सव के सार को दर्शाती है।”

संजय के. रॉय, मैनेजिंग डायरेक्टर, टीमवर्क आर्ट्स, ने कहा: “जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल संवाद एवं कहानी कहने का एक माध्यम बना हुआ है, जो समझ एवं सहानुभूति पर साहित्य के गहन प्रभाव को दर्शाता है। प्रत्येक संस्करण एक जीवंत मंच के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करता है, जहां विचार एवं प्रतिनिधि स्वर मानवता की साझा भावना को बढ़ाने के लिए एक साथ आते हैं।”

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 में कई अन्य सेगमेंट भी आयोजित किए जाएंगे, जो हर साल इसके समानांतर चलते हैं। इनमें प्रकाशकों, लेखकों, साहित्यिक एजेंट एवं इस उद्योग के अग्रणी लोगों को एक मंच पर लाने वाला एवं प्रकाशन उद्योग के लिए प्रमुख बी2बी मंच के रूप में स्थापित जयपुर बुकमार्क (जेबीएम) का 11वां संस्करण; प्रसिद्ध भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगीतकारों के शानदार प्रदर्शन से सजा जयपुर संगीत मंच; जयपुर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आयोजित हेरिटेज ईवनिंग्स; विविध शिल्प उत्पादों की खरीदारी के लिए फेस्टिवल बज़ार; उत्सव में शामिल लेखकों की किताबों को खरीदने के लिए फेस्टिवल बुकशॉप जैसे आयोजन शामिल हैं। साथ ही एक विशेष फेस्टिवल फ्रेंड पैकेज भी होगा, जो उपस्थित लोगों को फेस्टिवल के एक खास अनुभव का आनंद लेने का मौका देगा।

दुनिया के सबसे प्रिय साहित्यिक समागम के रूप में इस महोत्सव को अपने लोकतांत्रिक गुटनिरपेक्ष चरित्र के लिए जाना जाता है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पक्षधर है। हर साल यह उन प्रतिनिधि स्वरों को साथ लाता है जो यथास्थिति को चुनौती देते हैं, नवाचार को प्रेरित करते हैं और विविधता का जश्न मनाते हैं, जिससे यह बौद्धिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक प्रतीक बन जाता है।

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