October 20, 2024, 5:10 am
spot_imgspot_img

Janmashtami Special: बाजारों में कान्हा की पोशाकों की भरमार

जयपुर। जन्माष्टमी पर्व छब्बीस अगस्त को मनाया जाएगा और जयपुर शहर के मंदिरों में कई आयोजन होंगे। इसके अलावा मंदिर प्रबंधन ने जन्माष्टमी उत्सव को भव्य बनाने के लिए ठाकुरजी की पोशाक से लेकर आभूषण तक तैयार कर लिए हैं। वहीं दूसरी ओर राजधानी जयपुर के परकोटा स्थित किशनपोल बाजार, त्रिपोलिया बाजार, पुरोहित जी कटला, नाहरगढ़ रोड, मानसरोवर, टोंक रोड पर रंग-बिरंगी और अलग-अलग डिजाइन की लड्डू गोपाल की पोशाक, मोरपंख मुकुट, वेलवेट का आसन सहित अन्य सामानों से बाजार सजकर तैयार हो चुका है।

वहीं घरों में छोटे बच्चों को कान्हा का रूप धारण करवाने के लिए बाजार में दुकानदारों ने वृंदावन से कान्हा ड्रेस मंगवाई है। ड्रेस में कुर्ता, धोती, मुकुट, बाजूबंद, बांसुरी और मोरपंख का पूरा सेट उपलब्ध है। जड़ी और वेलवेट के मिश्रण से निर्मित सेट की कीमत 600 रुपए तक है। हालांकि कीमतों में इस बार बीते साल से कुछ प्रतिशत तक की मामूली बढ़त देखी जा सकती है। दिल्ली, मुंबई, सूरत और अहमदाबाद से जन्माष्टमी के मौके पर दुकानदारों ने माल मंगाया है।

बाजारों में 10 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक की पोशाक उपलब्ध है। जन्माष्टमी पर कान्हा को सजाने के लिए महिलाएं तरह-तरह की पोशाक खरीद रही हैं। मोरपंख मुकुट 80 से लेकर 150 रुपए, आसन 50 से लेकर 200 रुपए, बड़ा मोरपंख 30 से 50 रुपए, वेलवेट का आसन 100 से 250 रुपए, स्टील का झूला 100 से लेकर 400 रुपए, मैटेलिक का झूला 150 लेकर 500 रुपए, गद्दा का सेट आसन, रूमाल, दो मसलंद 600 रुपए, बांसुरी 40 से लेकर 300 रुपए, लड्डू गोपाल मच्छरदानी 100 से लेकर 300 रुपए तक उपलब्ध है।

लड्डू गोपाल की पोशाक नाप से हो रहीं तैयार

लड्डू गोपाल की पोशाक बाकायदा नाप से सिली जा रही हैं। मालवीय नगर के हितेश गेरा ने बताया कि कई लोग रंग-बिरंगी व शनिल तथा रेशमी की मनपसंद पोशाक के लिए ऑर्डर कर रहे हैं। अभी तक 500 से ज्यादा ऑर्डर आ चुके हैं। इनमें 7 इंच से 2 फीट की पोशाकों की डिमांड ज्यादा है।

सूरत, मथुरा व मुम्बई के मुकुट लोग खूब कर रहे है पसंद

ठाकुरजी के फ्लोवर, जड़ाऊ, पगड़ी, सूरत, मथुरा व मुम्बई के मुकुट लोग खूब पसंद कर रहे हैं। ज्वैलरी, कंगन, पायल, झूमके, मोती माला, बाल, तिलक, बिंदी की डिमांड ज्यादा है। प्राकृतिक इत्र में गुलाब, मोगरा, चंदन, बगीचा, वृंदावन, श्याम दरबार, बेला, मुरलीधर, खसखस है। यह इत्र चालीस से एक हजार रुपए तक बाजार में हैं। लोगों की मांग रहती है कि इत्र व सेंट बनाने में प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल ज्यादा हो ताकि शुद्धता की गारंटी मिले।

कई तरह के झूले व पालने भी बाजार में बिकने का तैयार

ठाकुरजी के लिए कई तरह के झूले व पालने भी बाजार में बिकने लगे हैं। पालने छोटे व धातु के बनाए जा रहे हैं, जबकि झूले लकड़ी व कपड़े के तैयार किए जा रहे हैं। बाजार में चार सौ से पांच हजार रुपए तक के पालने व झूले उपलब्ध हैं। जयपुर में मीनाकारी के पालने, राजकोट गुजरात के डिजाइनर झूले तथा मोरपंखी झूले व लकड़ी के झूलों की डिमांड ज्यादा है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles