जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित 27वें लोकरंग महोत्सव का मंगलवार को पांचवां दिन रहा। पांचवां दिन अलग-अलग राज्यों से आए कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियों के नाम रहा। मध्यवर्ती में हुई प्रस्तुतियों में एक ओर जहां राजस्थान के मंजीरा नृत्य ने समां बांध दिया, वहीं मध्यप्रदेश के गुदुम बाजा नृत्य की प्रस्तुतियों ने भी दर्शकों का दिल जीत लिया।
लोकरंग में अरुणाचल प्रदेश के नृत्य जूजू जाजा की सुंदर प्रस्तुति दी गई। यह नृत्य अरुणाचल प्रदेश में फसल कटाई के दौरान किया जाता है। मंच पर उन्हीं हाव-भाव को प्रस्तुत किया गया। नृत्य के दौरान भाव भंगिमाएं भी उसी तरह की नजर आई कि मानो फसल की कटाई की जा रही हो। इसके बाद प्रस्तुत की गई तेजाजी यात्रा, यह प्रस्तुति मध्यप्रदेश के कलाकारों ने दी। तेजाजी महाराज की गाथा का गुणगान करते हुए कलाकार देखते ही बन रहे थे।
गुजरात के कलाकारों की प्रस्तुति केरबा नो वेश भी आकर्षक रही। यह भवाई लोक नाट्य का ही एक रूप है। इसमें कलाकार एक ही जगह पर गोल गोल घूमते हुए कपड़ों से अलग-अलग तरह की आकृति बनाते नजर आए। गोवा के कलाकारों ने समई नृत्य की प्रस्तुति दी, इसमें सिर पर पीतल के दीपक रखकर संतुलन बनाकर उन्होंने खूब तालियां बटोरी।
इनके अतिरिक्त तमिलनाडु के कई नृत्यों को एक ही प्रस्तुति में मंच पर समेट कर प्रस्तुत किया गया। महाराष्ट्र के सोंगी मुखवटे में नरसिंह अवतार की प्रस्तुति ने भी सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। असम की करबी जनजाति के नृत्य डोमाईकीकान में कलाकारों ने ढाल तलवार को लेकर प्रस्तुति दी। तमिलनाडु के थपट्टम ने भी वाहवाही बटोरी।
शिल्पग्राम में प्रस्तुतियों ने मोहा मन
उधर, शिल्पग्राम के मुख्य मंच पर लोक गायन, मागंणियार गायन, कालबेलिया नृत्य, डेरू नृत्य, गणगौर, राजस्थानी लोकनाट्य और डांडिया रास की प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। रंग चौपाल में तुर्रा-कलंगी की प्रस्तुति को भी दर्शकों ने खासा पसंद किया। गायन सभा में लोक गायक गिरधारी सरस आमेर ने भी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।