जयपुर। जवाहर कला केंद्र की पाक्षिक नाट्य योजना के तहत गुरुवार को नाटक ‘कोर्ट मार्शल’ का सफल मंचन हुआ। स्वदेश दीपक द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन अखिलेश नारायण ने किया है। नाटक की कहानी सामाजिक कानूनों और नियमों पर आधारित है। यह दर्शाता है कि समाज कानून और नियमों के ढांचे पर टिका है लेकिन जब यह ढांचा किसी वर्ग विशेष के साथ भेदभाव करता है तो असंतोष जन्म लेता है।
नाटकी की शुरुआत मंच पर उपस्थित करनल सूरज सिंह के संवाद के साथ होती है। वह इस बात पर विचार करता है कि मेरे पिता राजस्थान के एक रियासत के राजा थे लेकिन आज मैं क्या हूं? नाटक में सेना के जवान रामचंदर के संघर्ष को दर्शाया है जो अपने सीनियर अधिकारी द्वारा जातिगत अपमान और शोषण का शिकार होता है।
जब सहनशक्ति की सीमा समाप्त होती है तो विरोध के अन्य रास्ते बंद पाकर वह हिंसा का सहारा लेता है।नाटक में प्रभावशाली संवाद से दर्शकों तक बात पहुंचाने का प्रयास किया गया है जिसमें, ‘गाली का जवाब गोली से नहीं दिया जा सकता’ जैसे संवादो का उपयोग किया गया है।
नाटक इस ज्वलंत प्रश्न को उठाता है कि क्या जातिगत भेदभाव और सामाजिक अन्याय से मुक्त होना संभव है? क्या एक संस्थागत ढांचा भी इससे अछूता रह सकता है? ‘कोर्ट मार्शल’ केवल सेना तक सीमित नहीं है बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक आईना है जो हमें आत्ममंथन करने पर मजबूर करता है।
जब तक समाज केवल बाहरी विकास पर ध्यान देगा और आंतरिक रूप से भेदभाव से ग्रस्त रहेगा तब तक ऐसी घटनाएं सामने आती रहेंगी। यह नाटक हमें सोचने पर मजबूर करता है कि विरोध के स्वर को कुचलने की बजाय क्या हम समाधान की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं?
इसी कड़ी में शुक्रवार को मंच पर जयवंत दलवी द्वारा लिखित व निशा वर्मा द्वारा निर्देशित नाटक ‘पुरुष’ खेला जाएगा जिसका नाट्य रुपांतरण सुधाकर करकरे ने किया है।