जयपुर। जवाहर कला केंद्र का रंगायन सभागार मंगलवार को सितार व वायलिन की मधुर धुनों से गूंज उठा। मौका था तीन दिवसीय वाद्य महोत्सव का जहां पहले दिन की शुरुआत विदुषी स्मिता नागदेव की सितार वादन प्रस्तुति से हुई जिसके बाद पंडित सुरेश गोस्वामी ने वायलिन की मधुर धुनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी श्रृंखला में कार्यक्रम के दूसरे दिन 16 अप्रैल को पंडित सुगातो रॉय चौधरी की सरोद वादन और पं. विजय चंद्र की की-बोर्ड वादन प्रस्तुतियां होंगी, जो रागों की विविधता से भरपूर होंगी।
कार्यक्रम की शुरुआत विदुषी स्मिता नागदेव ने सितार वादन में राग मधुवंती से की जिसमें उन्होंने परंपरागत शैली में आलाप, जोड़ और झाला का सुंदर संयोजन प्रस्तुत किया। इसके बाद तीनताल में विलंबित गत ने श्रोताओं को शास्त्रीय संगीत की गंभीरता और गहराई से रूबरू कराया। मध्यलय में एकलात की गत ने प्रस्तुति को नई ऊर्जा दी जबकि तीनताल में द्रुत गत ने शाम को और सुरीला बना दिया। वादन के अंत में उन्होंने राग पीलू में दादरा ताल में निबद्ध एक धुन प्रस्तुत की जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान तबला पर मोहित कथक ने संगत की।
वहीं दूसरी प्रस्तुति में पंडित सुरेश गोस्वामी ने राग यमन की मधुर व्याख्या की। उन्होंने परंपरागत ढंग से आलाप, जोड़ और झाला के माध्यम से राग की गहराई को दर्शाया। इसके बाद तीनताल में विलंबित और द्रुत गत प्रस्तुत किया। उन्होंने राग काफ़ी में एक खूबसूरत धुन प्रस्तुत की जिसने माहौल को रुमानियत से भर दिया। वादन का समापन राग भैरवी में भावपूर्ण भजन ‘जो भजे हरि को सदा, वही परम पद पायेगा’ से हुआ जिसने श्रोताओं को आध्यात्मिकता से सराबोर कर दिया।