जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की पाक्षिक नाट्य योजना के अंतर्गत गुरुवार को नाटक ‘हम भारत के लोग’ का मंचन किया गया। नाटक का लेखन, परिकल्पना व निर्देशन वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अभिषेक गोस्वामी ने किया है। ब्रीदिंग स्पेस समूह के कलाकारों ने संविधान की अवहेलना से उपजे सामाजिक हालातों पर कटाक्ष करने वाली कहानी को साकार किया।
नाटक का शीर्षक संविधान की प्रस्तावना से प्रेरित है। जो यह जाहिर करता है कि भारत यहां के लोगों से मिलकर एक राष्ट्र बना है और हर व्यक्ति को गरिमामयी जीवन हासिल होने पर ही देश का गौरव भी बरकरार रहेगा। निर्देशक अभिषेक गोस्वामी ने बताया कि पूरी टीम की ओर से समाचार पत्रों में उठी खबरों पर विचार से उपजी कहानी ने 2 वर्ष पूर्व आकार लिया। नाटक तीन परिदृश्यों को समाहित करता है। कहानी इस बात की पड़ताल करती है कि संविधान में वर्णित भारत और हकीकत में कितना अंतर है।
पहला परिदृश्य राजस्थान के गांव में रहने वाले रवि की कहानी है। सरकारी नौकरी में कार्यरत रवि घोड़ी पर बैठकर बारात निकालना चाहता है। गांव के दबंग उसे ऐसा करने से मना करते हैं जिससे द्वंद्व की स्थिति खड़ी हो जाती है। यह उस लकीर की तस्वीर है जो आज भी लोगों में जातिगत विभाजन पैदा करती है। इधर मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली युवती नौकरी कर अपने सपनों को पूरा करने की चाह रखती है। बाहर निकलने पर असामाजिक तत्व उसे छेड़ते हैं। एक दिन वह ज्यादती का शिकार हो जाती है।
परिजन पुलिस में शिकायत करने की जगह पीड़िता को ही घर की दहलीज में कैद कर देते हैं। वहीं तीसरी कहानी असम के प्रियांशु की कहानी है। जयपुर में एक कैफे में क्षेत्रवाद की दुर्भावना से ग्रस्त भीड़ उसके साथ हिंसा पर उतारू हो जाती है। ऐसी निंदनीय घटनाओं के बाद भी मौन समाज को मुखौटा पहने नाटक में दिखाया गया है। संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक नाद के साथ नाटक का समापन होता है।
मंच पर अनुरंजन, कमलेश, रितिक, पूजा, वर्तिका, कल्पना, विजय, रवि, गौरव, आकिब, सोमेश ने विभिन्न किरदार निभाए। मंच से परे पूजा और वृत्तिका ने वेशभूषा, एंजेला व योगेश ने ध्वनि संयोजन और स्वप्निल, देशराज एवं मिली ने प्रकाश संयोजन संभाला।