जयपुर। जवाहर कला केन्द्र में सजे बच्चों के संसार में शनिवार को अनोखा नजारा देखने को मिला। जूनियर समर कैम्प में प्रशिक्षण ले रहे बच्चों ने अपने हुनर से मंच को सजाकर खूब वाहवाही लूटी। किसी ने सोलो एक्ट से और गीत गाकर समां बांधा तो किसी ने जोश भरी कविताएं पढ़ी, किसी ने वायलिन और गिटार पर धुन छेड़ी, बांसुरी से निकली स्वर लहरियों ने सुकून दिया तो स्टैंड अप कॉमेडी ने गुदगुदाया। मौका था केन्द्र के प्रयास नौनिहाल के अंतर्गत वीकली प्रोग्राम ‘हारमोनी’ का। हारमोनी की पहली कड़ी में ओपन माइक का आयोजन कर सभी कला विधाओं के प्रतिभागियों को खुला मंच प्रदान किया गया।
केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत ने बच्चों की हौसला अफजाई की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन बच्चों को मंच देने के लिए किया गया है। सभी बच्चे जो सीख रहे है उनकी प्रस्तुति देने से उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा, सभी विधाओं के बच्चों के एक मंच पर आने से आपसी सामंजस्य बढ़ेगा। केन्द्र के वरिष्ठ लेखाधिकारी चेतन कुमार शर्मा ने अपनी कविता, ‘जवाहर कला केन्द्र का आंगन है सबसे निराला, सूरज की किरणों की तरह हमेशा बिखेरे उजाला’ के साथ बच्चों का साथ दिया।
31 प्रतिभागियों ने ओपन माइक सेशन में हिस्सा लिया। रिधान ने ‘आ, चल के तुझे मैं लेके चलूँ एक ऐसे गगन के तले, जहाँ ग़म भी ना हो, आँसू भी ना हो, बस प्यार ही प्यार पले’ गीत के साथ ओपन माइक में सबसे पहले अपनी हाजिरी लगाई। मनन ने रामधारी सिंह दिनकर के कविता कोश ‘रश्मिरथी’ के अंश कृष्ण की चेतावनी को पढ़कर सुनाया। पूर्वी ने अपनी कविता में हनुमान जी की महिमा का बखान किया। सोहन लाल द्विवेदी की कविता, ‘लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती’ पढ़कर मान्या ने सभी को जोश से भर दिया। ‘लाल-लाल मोती जैसे, चमकते अनार के दाने, जैसे जेकेके में, रंग बिरंगे अफसाने, आओ सब मिलकर, बांटे ये मीठे दाने, जैसे जेकेके में, मस्ती के बहाने’ कोमल कल्पनाओं के सागर से निकली कविता से श्रीत ने समां बांधा। दक्ष गुप्ता ने 3 मिनट के एक्ट में अनाथ बच्चे की मार्मिक कहानी को साकार किया, अनाम्या की बांसुरी से निकले सुरों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। फोटोग्राफी के बच्चे इन लम्हों को अपने कैमरे में कैद करते नजर आए। अद्विक, वंशिका, हिमांशी, गायत्री, नायसा, अंजलि ने कविता तो अभिनीति ने कहानी पढ़ी। शिवांग, अधवि ने गिटार तो सुजान ने वायलिन की प्रस्तुति दी। मयंक, मनस्वी ने पियानो बजाया तो मो. आदिल, भव्यांश, शौर्य ने तबला वादन किया। शारवी ने सालो तो आदित्य ने माइम एक्ट किया। मनन्या और सिया ने गीत गाए। लवेश, तश्वी, प्राथू, प्रियांश, गर्वित, रिया ने भी अपनी अपनी विधाओं की प्रस्तुति दी।
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