जयपुर। प्रदेश भर में भैरव अष्टमी मंगलवार को बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है। काल भैरव को शिव जी का पांचवा रौद्र अवतार माना जाता है। बताया जाता है कि भैरव बाबा को आठ रूपों में पूजा जाता है। काल भैरव को सभी कष्टो को दूर रखने वाला देवता माना गया है। इस दिन भैरव बाबा की पूजा के साथ व्रत भी किया जाता है। जीवन में बार -बार परेशानियों का सामना करना पडे़ तो भैरव बाबा की पूजा करें और कालाष्टमी का व्रत करें ।ऐसा करने से भक्त भय और चिंता से मुक्त हो जाता है साथ ही शत्रुओं से भी छुटकारा मिलता है।
ऐसे करें भैरव बाबा की पूजा
कालाष्टमी पर सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करे ।इस दिन काले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। भगवान भैरव की मूर्ति के आगे धूप,दीपक ,अगरबत्ती जलाएं और दही ,बेल पत्र ,पंचामृत और पुष्प अर्पित करें। जिसके पश्चात सरसों से बनी तेल की बूंदी का भोग लगाएं और काले कुत्ते को जरूर खिलाएं। कालाष्टमी पर गरीबों में फल जरूर बांटे।
ये है बाबा के आठ रूप
कपाल भैरव : भैरव बाबा का यह रूप काफी चमकीला है इस रूप में वो हाथी की सवारी करते है। एक हाथ में त्रिशुल ,दूसरे में तलवार और तीसरे में शस्त्र और चौथे में पात्र पकड़े हुए है। ऐसी मान्यता है कि बाबा की इस रूप में पूजा करने से कानूनी मामलों में जीत मिलती है और अटके हुए कार्य पूर्ण होते है।
क्रोध भैरव : बाबा के इस रूप का रंग गहरा नीरा है जिसमें उनकी तीन आंखे है। बाबा का इस रूप में वाहन गरूण है। इन्हे दक्षिणी-पश्चिमी दिशा का देवता माना जाता है। इस रूप में बाबा की पूजा करने से बुरा वक्त दूर होता है और कष्टो से लड़ने की क्षमता मिलती है।
असितांग भैरव : भगवान भैरव इस रूप में गले में सफेद कपालों की माला धारण किए हुए है। एक हाथ में कपाल पकड़ा हुआ है। तीन आंखों वाले असितांग भैरव की सवारी हंस है। इनकी पूजा करने से मनुष्य में कलात्मक क्षमताएं बढ़ती है और करियर में उन्नति मिलती है।
चंद्र भैरव : चंद्र भैरव की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और बुरी परिस्थिति से लड़ने की क्षमता मिलती है। इस रूप में भी बाबा की तीन आंखे है ।उनकी सवारी इस रूप में मोर है। उनके एक हाथ में तलवार और दूसरे में पात्र और तीसरे और चौथे में धनुष पकड़े हुए है।
गुरू भैरव : भगवान गुरू भैरव अपने एक हाथ में कुल्हाड़ी ,कपाल और दूसरे हाथ में तलवार पकड़े हुए है। इस रूप में उनकी सवारी बैल है। उनके शरीर में सांप लिपटा हुआ है। इनकी पूजा करने से अच्छी विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
संहार भैरव : भगवान संहार भैरव के इस रूप में सिर पर कपाल स्थापित है और इनकी तीन आंखे है। इनका वाहन कुत्ता है ।संहार भैरव के आठ भुजाएं है और इनके शरीर पर सांप लिपटा है। इनकी पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है।
उन्मत भैरव : भैरव बाबा का यह रूप शांति का प्रतीक माना जाता है इनका स्वभाव शांति से परिपूर्ण माना जाता है। इस रूप में इनकी पूजा करने से भक्तगण के अंदर की सभी नकारात्मकता और बुराइयां समाप्त होती है। इनका वाहन घोड़ा है।
भीषण भैरव : इस रूप में बाबा की पूजा करने बुरी आत्माओं के प्रभाव और ऊपरी बाधा से छुटकारा मिलता है साथ ही अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। बाबा के एक हाथ में कमल ,दूसरे में त्रिशुल तीसरे में तलवार और चौथे में एक पात्र है भीषण भैरव का वाहन शेर है।