जयपुर। भाद्रपद मास की पूर्णिमा/प्रतिपदा को बुधवार से कनागत शुरू हो गए। पितृपक्ष दो अक्टूबर तक चलेंगे। बुधवार को प्रतिपदा का श्राद्ध कर्म किया गया। जिनके पूर्वजों का निधन प्रतिपदा तिथि को हुआ उनके निमित्त श्राद्ध और तर्पण किया गया। ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले काकबलि, स्वान बलि, गाय भोजन, चींटियों के लिए पत्तों पर भोजन निकाला। अग्नि पर आहुतियां अर्पित की गई।
यजमान ने दांये हाथ में फूल, जल, तिल,जौ, कुशा, फल, मिठाई दक्षिणा लेकर अपने पितर का नाम लेकर भोजन के लिए आह्वान किया। भोजन ग्रहण करने के स्थान को साफ-सुथरा कर आसन बिछाया। उस पर फूल बिखेरे।
ब्राह्मण को उस आसन पर बैठाकर भोजन करने का अनुरोध किया। पुराणों में कहा गया है कि निमंत्रण देने के साथ ही पितर उस ब्राह्मण में मुंह से उसके शरीर में प्रवेश कर जाता है। भोजन ग्रहण कराने के बाद दक्षिणा और वस्त्र देकर आशीर्वाद लिया। कई लोगों अनाथ आश्रम,निश्रासित आश्रम में रहने वालों को भोजन कराया।
श्राद्ध और तिथि
19 सितंबर गुरुवार द्वित्तीया
20 सितंबर शुक्रवार तृतीया
21 सितंबर शनिवार चतुर्थी
22 सितंबर रविवार पंचमी
23 सितंबर सोमवार षष्ठी/सप्तमी
24-सितंबर मंगलवार अष्टमी
25 सितंबर बुधवार नवमी
26 सितंबर गुरूवार दशमी
27 सितंबर शुक्रवार एकादशी
28 सितंबर शनिवार कोई श्राद्ध नहीं
29 सितंबर रविवार द्वादशी (संन्यासियों का श्राद्ध)
30 सितंबर सोमवार त्रयोदशी
01 अक्टूबर मंगलवार चतुर्दशी (अकाल मृत्यु,)
02 अक्टूबर बुधवार अमावस्या(अज्ञात मृत्यु)
03 अक्टूबर गुरूवार नाना नानी श्राद्ध- नवरात्रि आरंभ