जयपुर। कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी रविवार को करवा चौथ के रूप में मनाई जाएगी। पति की दीर्घायु और सुख-सौभाग्य की कामना के साथ सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रख दिन में भगवान शिव, मां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चौथ माता की पूजा कर रात्रि को चंद्रमा को अघ्र्य अर्पित करेंगी। करवा चौथ का व्रत विवाह के 16 या 17 सालों तक करना अनिवार्य माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह व्रत सबसे पहले देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था। यह भी मान्यता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों को संकट से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि 24 साल बाद करवा चौथ पर दुर्लभ ज्योतिषीय योगों का निर्माण हो रहा है, जो दाम्पत्य जीवन के लिए शुभ है। ज्योतिषीय गणना के आधार पर करवा चौथ के दिन गज केसरी, महालक्ष्मी के साथ शश, समसप्तक, बुधादित्य जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। साथ ही सूर्य और बुध बुधादित्य योग का निर्माण कर रहे है। इसी प्रकार शुक्र के वृश्चिक राशि में आने वह गुरु के साथ मिलकर समसप्तक योग का निर्माण कर रहे हैं।
शनि अपनी राशि कुंभ में रहकर शश राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इसके अलावा चंद्रमा वृषभ राशि में गुरु के साथ युति करके गज केसरी और मिथुन राशि में मंगल के साथ युति करके गज केसरी राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इस योग में चंद्रमा को अघ्र्य देने से सुहागिन महिलाओं की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी। इस दिन चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी नक्षत्र भी करवा चौथ के दिन को और भी खास बना रहा है।