जयपुर। श्री गुरु नानक देव जी के 557 वें प्रकाश पूरब पर जयपुर के अलग-अलग गुरुद्वारों में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। सरबत खालसा सिख सेवा एवं समूह सिख संगत द्वारा श्री गुरु नानक देव सर्कल ठाठ नानकसर रामगढ़ मोड, जयपुर में रात को भव्य आतिशबाजी की गई।
गुरुद्वारा हीदा की मोरी, रामगंज के प्रधान सरदार सुच्चा सिंह जी ने बताया कि गुरुद्वारा हीदा की मोरी में शनिवार सुबह श्री अखंड पाठ साहिब की समाधि के बाद कीर्तन दिवस सजाया गया। कीर्तन दीवान में भाई हरविंदरपाल सिंह लिटिल वीर जी ने “ऐसी दया करो महाराज नाम ना बिसरे” शब्द गाते हुए बताया कि – नाम जपना बहुत कठिन है फिर इसको संभालना और भी कठिन है। जब तक मनुष्य को अहम् अहंकार रहता है वह नाम को प्राप्त नहीं कर सकता। वह भवसागर को पार नहीं कर सकता।
भाई तेजेन्द्र सिंह, हजुरी रागी दरबार साहिब अमृतसर ने “गनीव तेरी सिफत सच्चे पातशाह” शबद गाकर संगत को निहाल किया। यह शबद श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में अंग 1137 पर स्थित है। इसके बाद “तू बेअंत को विरला जाणे” शबद गायन करते हुए बताया कि भगवान तू बेअंत है तेरे गुणों का कोई अन्त नहीं है। कोई विरला मनुष्य ही इस गहराई को जानता है। कीर्तन दीवान की समाप्ति उपरांत अतुट लंगर वरताया गया।