जयपुर। ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन की पहल पर राजस्थान फोरम के सहयोग से हुए कार्यक्रम ʿसम्मुख’ में कवियों ने अपनी रचनाओं से रंग जमाया। साहित्य व कला के क्षेत्र में युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए यह कार्यक्रम जेएलएन मार्ग स्थित कलानेरी आर्ट गैलरी में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में बारां के अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने श्रोताओं को अपनी कविताएं सुनाई। जिसमें कुछ प्रमुख पंक्तियां है ‘कब ये धरती और कब अंबर बचाना चाहती है शायरी इंसान का तेवर बचाना चाहती है, शब्दजालों के लिए कुछ वर्ण चुनती मकड़ियों से वर्णमाला प्रेम के आखर बचाना चाहती है।
आगे अपनी कविताओं का पाठ करते हुए अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने युवाओं को कहा कि, वो जवानी और थी जो सर कटाना चाहती थी यह जवानी सिर्फ़ अपना सर बचाना चाहती है, अनगिनत अपनों ने चाहा घर को मेरे तोड़ देना, माँ मगर हर हाल में यह घर बचाना चाहती है, जो कि आँसू बन के बहने के लिए बेताब से हैं आँख मेरी वो हसीं मंजर बचाना चाहती है। यह ग़ज़ब की बात है डरती है वो भी आदमी से पर सियासत आदमी में डर बचाना चाहती है जैसी प्रस्तुति से श्रोताओं की प्रशंसा पाई।
इसके साथ ही उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में फैली हुई कुरीतियों को दर्शाया है, जिसमें कुंठा, घृणा, मानसिक बीमारियों आदि है।
वहीं हेमराज सिंह ’हेम’ ने मैं कवि हूँ
मैं ध्वनि का संचरण हूँ,
शब्द वीणा का त्वरण हूँ।
मैं समय चक्र हूँ सदियों से इतिहास बदलते देखा है।
मैंने उगता सूरज देखा,
सूरज को ढलते देखा है।
हार कर जीतना जिन्दगी दोस्तों
जीतते ही रहे जिन्दगी तो नहीं।
जब उम्मीदों के पंख लगा उड़ता है नील गगन में खग,
तब खुद पर किए भरोसे को सच कहता मंजिल दूर नहीं की अभिव्यक्ति दी।
कवि हेम ने जब बात हो पुरुषार्थ की निज वंश के अभिमान की सहित कई कविताएं और गीत गाकर सुनाएं। इस कार्यक्रम का संचालन प्रदक्षिणा पारीक ने किया। संयोजक प्रमोद शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर कोटा के साहित्यकार कथाकार विजय जोशी, महेश शर्मा, कलानेरी आर्ट गैलरी के विजय शर्मा, डॉ अल्का गौड़ , जितेंद्र निर्मोही, जोधराज मधुकर, अनामिका कली आदि उपस्थित रहे।