जयपुर। आषाढ़ शुक्ल एकादशी, 17 जुलाई को भगवान श्रीहरि विष्णु सृष्टि की सत्ता के संचालन का भार भगवान भोले नाथ को सौंपकर 118 दिन के लिए योग निद्रा में जाकर विश्राम करेंगे। आदिदेव महादेव सृष्टि का कार्यभार 11 नवंबर तक अपने पास रखेंगे और 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर पुन: श्रीहरि के जागने पर उन्हें सत्ता सौंप देंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि देवशयनी एकादशी पर इस बार तीन खास योगों का संयोग बन रहा है, जो आगामी चार माह के लिए शुभ फलदायी एवं मंगलकारी रहेंगे। इनमें सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और बुधादित्य योग रहेगा। देवशयनी एकादशी पर इस बार सूर्योदय से रात 11.18 तक सर्वार्थ एवं अमृत सिद्धि योग एक साथ रहेंगे। सूर्य और बुध के कर्क राशि में एक साथ रहने से बुधादित्य योग भी रहेगा। यह तीनों योग खरीदारी एवं कार्यों की सफलता के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
कथा-प्रवचन होंगे मांगलिक कार्य नहीं:
देवशयनी एकादशी से शुरू हो रहे चातुर्मास के साथ जैन एवं बौद्ध संतों का वर्षावास भी शुरु हो जाएगा। इस अवधि में मांगलिक कार्य नही होंगे, परंतु पूजा, कथा, प्रवचन होंगे और व्रत भी त्योहार मनाए जाएंगे। इन चार माह में श्रीहरि की उपासना का अभीष्ठ फल प्राप्त होगा। चातुर्मास में कथा प्रवचन कराने और श्रवण करने का कई गुना फल प्राप्त होता है। इन चार माह में शाकाहार का पालन करने वाले लोग विभिन्न शारीरिक कष्ट व्याधियों से बचे रहेंगे।।