जयपुर। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व आठ मार्च के दिन मनाई जाएगी । भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं । ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि का पर्व शिवयोग और सर्वार्थसिद्धि योग में मनाया जायेगा। जो भक्त भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करता हैं। उसका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को केसर युक्त चंदन का तिलक लगाएं।
बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, कमल गट्टे, मीठा पान, इंत्र व दक्षिणा चढ़ाकर पूजा करें। महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान शिव की उपासना के समय शिवलिंग पर शहद,दही और गन्ने के रस से अभिषेक करना अति फलदायी हैं। शिवरात्रि के दिन पंचामृत अभिषेक,षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करके रुद्राष्टाध्यायी का पाठ आदि के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता हैं ।
शिवरात्रि पूजन चार प्रहर में किया जाता हैं । प्रथम प्रहर शाम 6.28 से रात्रि 9.32 तक, द्वितीय प्रहर रात्रि 9.33 से रात्रि 12.37 तक, तृतीय प्रहर मध्य रात्रि 12.38 से अंतरात्रि 3.41 तक, चतुर्थ प्रहर अंतरात्रि 3.42 से अगली प्रातः 6.46 तक । निशीथ काल मध्य रात्रि 12.13 से मध्य रात्रि 01.02 तक रहेगा ।