September 8, 2024, 6:11 am
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गोविंददेवजी समेत शहर के अधिकांश देवालयों में मनाया मकर संक्रांति पर्व

जयपुर। जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी समेत शहर के अधिकांश देवालयों में सोमवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया। इसके साथ ही मंदिरों में पतंगोत्सव के आयोजन हुए। इस मौके पर मंदिरों में पतंगों की झांकी सजाई गई है और तिल-गुड़ से बने व्यंजन, गजक, तिल पट्टी, मूंगफली पट्टी, सुखे मेवे का ठाकुरजी को भोग लगाया गया। मकर संक्रांति पर सुबह से ही श्रद्धालु मंदिरों में विशेष झांकी के दर्शन करने पहुंचे।

आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर में मंगला झांकी के बाद ठाकुर जी का पंचामृत अभिषेक किया गया। इसके बाद ठाकुरजी को गुलाबी रंग की जामा पोशाक धारण करवाई गई। वहीं ठाकुरजी केा तिल के लड्डुओं और फीणी का भोग लगाया गया। इस मौके पर ठाकुरजी के पतंगों की झांकी सजाई गई, जिसमें ठाकुरजी के हाथ में सोने की पतंग और राधा रानी के हाथ में चांदी की चरखी पकड़े नजर आई। उधर, पानों का दरीबा स्थित सरस निकुंज में ठाकुर राधा सरस बिहारी जू सरकार के पतंगों की झांकी के दर्शन हुए।

ठाकुर जी के समक्ष रंग-बिरंगी पतंगों की झांकी सजाई गई। इस मौके पर बधाई गान भी हुए। गोनेर रोड स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर में पतंगोत्सव मनाया गया। इस मौके पर ठाकुरजी को गोटे पत्ती की पोशाक धारण करवा कर पतंगों की झांकी सजाई गई। सिह ड्योढ़ी स्थित मंदिर श्री रामचंद्रजी, चांदनी चौक स्थित मंदिर श्री ब्रजनिधिजी एवं आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर में भी पतंगोत्सव मनाया गया।

पतंगों की झांकी के दर्शन

पुरानी बस्ती स्थित राधा गोपीनाथजी मंदिर, चौड़ा रास्ता स्थित मंदिरश्री राधा दामोदरजी और गलता गेट स्थित गीता गायत्री मंदिर सहित अन्य मंदिरों में पतंगोत्सव मनाया। ठाकुर जी के समक्ष पतंगों की झांकी के दर्शन हुए। वहीं कुछ मंदिरों में ठाकुर जी के हाथों में पतंगे नजर आई। रामगंज बाजार के कांवटियों का खुर्रा स्थित श्री श्याम प्राचीन मंदिर में श्याम प्रभु पतंग में विराजमान है। मंदिर महंत पंडित लोकेश मिश्रा ने बताया कि बड़ी संख्या में भक्तों ने विशेष झांकी के दर्शन किए।

साथ ही मकर संक्रांति का दान-पुण्य सोमवार को होने से सुबह से ही घर-घर वस्तुओं को कळप कर दान किया गया। महिलाएं 14-14 वस्तुओं को कळप कर दान कर किया। कुछ महिलाएं अपने सास-ससुर सहित बड़ों को कपड़े पहनाया। वहीं शहर में जगह-जगह लोग गायों को हरा चारा और गुड़ खिलाया गया। मंदिरों के बाहर गायों को चारा व पक्षियों को दाना डाला गया।

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