जयपुर। साल 2024 का ग्रह -नक्षत्रों की चाल को देखते हुए मकर संक्रांति दो दिन चौदह व पन्द्रह जनवरी को मनाई जाएगी। पतंगबाजी का आनंद चौदह जनवरी को व दान-पुण्य पन्द्रह जनवरी को किया जाएगा। ग्रहों के राजा सूर्य देव चौदह जनवरी की रात 2 बजकर 44 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल पन्द्रह जनवरी को रहेगा। लोकाचार की दृष्टि से चौदह जनवरी को पतंगबाजी और व्यंजनों का लुत्फ उठाया जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व पन्द्रह जनवरी को ही मनाया जाएगा। मकर संक्रांति रवि योग,कुमार योग ,पंचमी तिथि ,शतभिषा नक्षत्र ,वरियान योग के संयोग से मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति अश्व पर बैठकर आएगी और उनका उपवाहन सिंह होगा। इस कारण सरकार अल्पसंख्यक और आदिवासी वर्ग के लिए कोई अतिरिक्त लाभ या सुविधा प्रदान कर सकती है।
शिक्षाविदों और चिकित्सा कर्मियों के लिए यह मकर संक्रांति शुभ रहेगी। व्यापारियों और कारोबारी को लाभ मिलेगा। भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मधुरता और विश्वास बढ़ेगा जिसके चलते भारत में निवेश बढ़ेगा।
ज्योतिषाचार्य शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन पूजा-पाठ, जप- तप, गंगा स्नान कर दान-पुण्य करने का विधान है। साथ ही पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है।
सुबह तिल मिले जल से स्नान कर तिल से तर्पण और हवन करना चाहिए। तिल युक्त पदार्थों का दान करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। भगवान को तिल के लड्डू और खिचड़ी का भोग लगाने का बहुत महत्व बताया गया है। मकर संक्रांति को सूर्य उत्तरायण हो जाएंगे। शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है। इसके बाद से दिन बड़ा और रात की अवधि छोटी होने लग जाएगी।