जयपुर। सुखमनी सेवा सोसायटी बनीपार्क, (रजि.) के सदस्यों ने गुरू गोबिन्द सिंह जी के साहिबजादों व माता जी की शहादत को श्रद्धांजलि देने व जन समूह को संदेश देने के लिए सोमवार, 25 दिसंबर को नौजवान सिक्ख सेवा दल के सहयोग से आयोजित नगर कीर्तन में भाग लिया। लगभग 35 बच्चे साहिबजादों की तरह तैयार होकर शहादत से संबंधित बैनर और तख्तियां जिनमें चित्रों और स्लोगन के माध्यम से शहादतों को दर्शाया गया था, लेकर नगर कीर्तन में शामिल हुए।
गुरू गोबिन्द सिंह जी के संदेश ‘इन पुतरन के सीस पर वार दिए सुत चार, चार मुए तो क्या भया, जीवित कई हजार’ को जन-जन तक पहुंचाया गया। इस दौरान बच्चों ने ‘बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ ने नारे लगाए। सोसायटी ने मोबाईल होर्डिंग द्वारा भी शहादत का संदेश प्रदर्शित किया।
नगर कीर्तन का उद्देश्य गुरू गोबिन्द सिंह जी के परिवार की शहादत को श्रद्धांजलि देना व जन समूह को चेतना देना, कि हम सब भी गुरू जी के बताए मार्ग पर चलें तथा साहिबजादों के समान सत्य व धर्म की राह पर अडिग रहें। सोसायटी की पिंकी सिंह ने बताया पाठ गरूप ‘अपणी मेहर कर ‘के सदस्यों ने शहादत को समर्पित जपुजी साहिब, सलोक महला 9 व चोपई साहिब के पाठ किए।
उल्लेखनीय है कि सिक्खों के दसवें गुरू, सरबंसदानी गुरू गोबिन्द सिंह जी के परिवार की शहादत को आज भी इतिहास की सबसे बड़ी शहादत माना जाता है। नानकशाही कैलेंडर के अनुसार 7 पोह से 14 पोह तक शहीदी सप्ताह मनाया जाता है। इन दिनों में गुरू जी के बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह (उम्र 19 वर्ष) और बाबा जुझार सिंह (उम्र 15 वर्ष) मुगलों का सामना करते हुए चमकौर के युद्ध में शहीद हो गए।
छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह जी (उम्र 9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह जी (उम्र 7 वर्ष) मुसलमान बनने से इन्कार करने पर धर्म की रक्षा करते हुए सरहंद में मुगल फौजदार वजीर खान के आदेश पर जिंदा दीवार में चिनवा दिए गए। साहिबजादों के शहीदी की खबर से दादी, माता गुजर कौर ने भी प्राण त्याग दिए। गुरू गोबिन्द सिंह जी ने अपना सारा परिवार धर्म पर कुर्बान कर दिया।