जयपुर। जवाहर कला केंद्र की ओर से बुधवार को जयपुर नाट्य समारोह के तहत नाटक गार्गी का प्रभावशाली मंचन हुआ। कन्हैया लाल कलावत द्वारा लिखित व निर्देशित इस नाटक ने दर्शकों को ज्ञान, आत्मविश्वास और विद्वता की प्रेरणा दी। गुरुवार को समारोह के दूसरे दिन पर प्रेमचंद गांधी द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक गाथा बन्दिनी का मंचन होगा।
मंच पर सफेद रोशनी पड़ती है और नज़र आती है गार्गी जो दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखकर खुद से बातें कर रही है। वह आत्ममंथन कर पूछती है कि क्यों वह खुद को कमजोर और ज्ञानहीन समझ रही है, उसकी निर्बलता सत्य नहीं है बल्कि महज़ एक छलावा है जिसे उसे दूर भगाना होगा। असल में तो वह सशक्त और दृढ़निश्चयी है।
तभी उसे मालूम पड़ता है कि राजा जनक अपने नगर में एक शास्त्रार्थ आयोजित करते हैं जिसमें देशभर के विद्वानों, ऋषियों और लेखकों को आमंत्रित किया जाता है। जब प्रतियोगिता शुरु होती है, तो कोई भी विद्वान आगे नहीं आता। तभी गार्गी ऋषि याज्ञवल्क्य को चुनौती देती है और उनसे गहरे प्रश्न पूछने लगती है। इनमें आग, पानी, भावनाएं, समाज, स्वर्ग, पृथ्वी, मृत्यु और ब्रह्मचारी जीवन से जुड़े कई जटिल सवाल मौजूद हैं।
याज्ञवल्कय गार्गी के तर्कों से कई बार चौंक जाते हैं लेकिन अंत में वे उसकी विद्वता को स्वीकार करते हैं और उसे आशीर्दवाद देते हैं। गार्गी की बुद्धिमत्ता देखकर पूरी सभा आश्चर्यचकित रह जाती है। यह नाटक प्राचीन भारत की विदुषी गार्गी के जीवन पर आधारित है जो अपनी बुद्धिमत्ता और तर्कशक्ति से महान ऋषियों को भी प्रश्नों के जाल में उलझा देती है। मंचन में दिखाया गया कि कैसे गार्गी समाज की रूढ़ियों को चुनौती देकर शास्त्रार्थ में भाग लेती और अपनी विद्वता से सभी को प्रभावित करती है।
नाटक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। गार्गी की कहानी से प्रेरणा लेते हुए, हर महिला को अपने आत्मविश्वास और ज्ञान के बल पर समाज में नई पहचान बनानी चाहिए। नाटक के माध्यम कलाकार एवं तकनीकी सहयोग: कलावत के.एल., भारती प्रजापति, दिशांत साहू, खुशबू सिंह, पीयूष सैन, तन्विका शर्मा, भानु प्रताप सिंह, मिताली शर्मा, इशिका भारद्वाज, प्रीति मारवाल।