जयपुर। नगर निगम ग्रेटर द्वारा ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान एवं स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े (17 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2024) के तहत बुधवार को अनूठा नवाचार किया गया। इस नवाचार के तहत वार्ड नं. 76 मानसरोवर स्थित गुरू गोलवलकर पार्क में नवदुर्गा वाटिका स्थापित की गई है। इस नवदुर्गा वाटिका में नव दुर्गा की तर्ज पर नौ औषधीय पौधे लगाये गये है।
नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन राज्य मंत्री झार्बर सिंह खर्रा ने इस नवदुर्गा वाटिका का नौ औषधीय पौधे लगाकर शुभारंभ किया। इसके साथ ही वहां लगे नौ दुर्गा के चित्रों की पूजा आरती भी की गई। इस अवसर पर महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर, उद्यान समिति की चैयरमेन श्रीमती राखी राठौड़ सहित अन्य समितियों के चैयरमेन एवं पार्षद, शिप्रापथ विकास समिति अध्यक्ष, निगम के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहे।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अशोक शर्मा ने माननीय मंत्री को नौ दुर्गा की तर्ज पर लगाये गये नौ औषधीय पौधों की जानकारी दी। इस अवसर पर समितियों के चैयरमेन एवं पार्षद राखी राठौड़, प्रवीण यादव, रमेश चन्द्र सैनी, अरूण वर्मा, शक्ति प्रकाश यादव, कविता कटियार सहित अन्य पार्षद एवं बड़ी संख्या में वार्डवासी मौजूद रहे।
इस अवसर पर नगरीय विकास एवं राज्य मंत्री ने सभी औषधीय पौधों की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि औषधीय पौधे स्वास्थ्य को बेहतर रखने के साथ-साथ पर्यावरण को भी बेहतर बनाते है। नगर निगम ग्रेटर द्वारा नवदुर्गा वाटिका की स्थापना अपने आप में एक अनूठा नवाचार है। इन औषधीय पौधे से जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नवदुर्गा की तर्ज पर बने नौ औषधीय पौधों की यह वाटिका आमजन के लिये उपयोगी सिद्ध होगी क्योंकि इसमें औषधीय पौधों की भी जानकारी दी गई है।
इस अवसर पर महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने बताया कि विश्व में यह पहली अनूठी नवदुर्गा वाटिका स्थापित की गई है। जिसमें नवदुर्गा की तर्ज पर नौ औषधीय पौधों की वाटिका लगाई गई है। जब इन औषधीय पौधों को आमजन ग्रहण करेंगे तो उनके शरीर में नवदुर्गा की शक्ति भी आयेगी और जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा। आगामी नवरात्रों में नवदुर्गा वाटिका में नवदुर्गा की प्रतिमायें भी लगाई जायेगी।
नौ औषधीय पौधों की उपयोगिताः-
नवदुर्गा में प्रथम मां दुर्गा शैलपुत्री के नाम पर हरड़ का पौधा लगाया गया है जिसकी उपयोगिता एंटी ओक्सिडेंट, पाचन तंत्र, सूजन, बवासीर, खासी, पीलिया, एसिडीटी के लिये उपयोगी है।
द्वितीय मां दुर्गा ब्रहाचारिणी के नाम पर ब्राह्राी के पौधा लगाया गया है जिसकी उपयोगिता आयु, यादद्ाश्त, रक्तविकार के लिये उपयोगी है।
तृतीय मां दुर्गा चंद्रघंटा के नाम पर चादूसूर के पौधा लगाया गया है जिसकी उपयोगिता खासी, कब्ज, विटामिन सी की कमी के लिये उपयोगी है।
चौथा मां दुर्गा कुष्मांडा के नाम पर पेठा के पौधा लगाया गया है जिसकी उपयोगिता रक्तविहार के लिये उपयोगी है।
पांचवा मां दुर्गा स्कंदमाता के नाम पर अलसी के पौधा लगाया गया है जिसकी उपयोगिता वात, पित्त, कफ के लिये उपयोगी है।
छठा मां दुर्गा कात्यायिनी के नाम पर मोइया के पौधा लगाया गया है जिसकी उपयोगिता कफ, पित्त व गले के रोग के लिये उपयोगी है।
सातवां मां दुर्गा कालरात्रि के नाम पर नागदीन के पौधा लगाया गया है जिसकी उपयोगिता मन एवं मस्तिष्क के विकारों, बवासीर के लिये उपयोगी है।
आठवां मां दुर्गा महागौरी के नाम पर तुलसी के पौधा लगाया गया है जिसकी उपयोगिता रक्तविकार, हदय रोग के लिये उपयोगी है।
नवां मां दुर्गा सिद्वीदात्री के नाम पर शतावरी के पौधा लगाया गया है जिसकी उपयोगिता बल, बुद्धि एवं विवेक के लिये उपयोगी है।