जयपुर। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में रविवार को नानी बाई रो मायरो कथा का समापन हुआ। बारिश की हल्की फुहारों के बीच श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया। मंदिर प्रांगण में कथा सुनने के लिए सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए। जिससे पूरा पांडाल श्रद्धालुओं से खचा-खच भरा हुआ नजर आया।
कथा के दौरान जया किशोरी ने रविवार को अंजार नगर का प्रसंग सुनाया। जब नरसीजी अंजार नगर पहुंचे और नानी बाई (बिटिया) से पूछते हैं कि बिटिया कैसी हो तो बिटिया बोलती है, मैं बहुत खुश हूँ। इसी समय नानी बाई की सास पूछती है कि तुम्हारे पिता मायरे में क्या लेकर आए। नानी बाई की सास यह जानती थी नानी बाई के पिता की आर्थिक स्थिति मायरा भरने की नहीं है। वे कुछ भी लेकर नहीं आए होंगे।
सास उलाहना देते हुए नानी बाई से कहती है कि तुम्हारे पिता खुद मांगकर खाते हैं तो मायरा क्या भरेंगे, तब नरसी ने साँवरिया पर पूर्ण विश्वास रखते हुए कहा बेटी तेरा मायरा तो सांवरियो भरेगो तब नानी बाई ने पिता से कहा जब द्रोपती की लाज लूटी गई थी तब भी सांवरिया ने आने में बहुत देर कर दी थी क्या आज भी आने में देर करेंगे। इस पर नरसी भक्त ने कहा, आँसी आँसी आँसी म्हाने घणो भरोसो आँसी, तुम केवल बेटी ससुराल वालो से कहो उन्हें जो मायरे में चाहिये उसकी पत्रिका तैयार करे ।
नरसी की लाज बचाने साँवरिया दौड़े दौडे चले आए
नानी बाई के मायरे के अन्तिम दिवस जया किशोरी ने कथा में बताया कि जब भातई अंजार नगर पहुँचे नरसी जी की तो उनके समधि ने आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण गाँव के बाहर ऐसे स्थान पर ठहरा दिया जहाँ कोई सुविधा नहीं थी लेकिन भक्त सच्चा हो तो ईश्वर को उनकी पुकार सुनकर आना पड़ता है। जया किशोरी ने बताया कि शबरी ने पूरे जीवन श्रीराम की भक्ति और पूरे जीवन उनके आने की प्रतीक्षा करती रहीं अन्त में श्री राम उनके आंगन पधारे।
लड़कियों को शिक्षावान व संस्कारी और घरेलू कार्य में बनाए दक्ष
कथा के बीच जया किशोरी ने कथा में उपस्थित भक्तों को बच्चों को सक्षम और संस्कारवान बनाए जाने का आग्रह किया। विशेषकर लड़कियों को शिक्षावान, संस्कारवान और घरेलू कार्य में दक्ष बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि परिजन बच्चों को सीख दें कि वे परिवारजनो का सम्मान करें। इसके बाद उन्होने बहुत सुंदर भक्तिभाव पूर्ण भजन गाया। मैं सांवरिया का तब तक सुमिरन करता हूँ मेरी लाज बचाने साँवरिया जरूर आयेंगे।
कथा के अन्त में जया किशोरी ने बताया कि जब साँवरिया बहुत समय तक नहीं पहुंचे तो नरसी साँवरिसा को याद कर भजन के माध्यम से सुमिरन करते हुए गाने लगे ष् ऐरे म्हारा नटवर नागरिया भक्ता ऐ क्यूं नहीं आयो रेष् तब जाकर सावरियाँ की नींद खुली और ध्यान आया कि मेरा परम भक्त नरसी आज बहुत बड़ी मुसिबत में है और मुझे मायरा भरने के लिये पुकार रहा है। साँवरिया सेठ बिना किसी विलम्ब के अजार नगर मायरा भने पहुंच गयें और आशा से ज्यादा नानी बाई के मायरे मे भाता भरी।