December 23, 2024, 8:49 pm
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800 से अधिक इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट का एडवांस मेडिकल टेकनोलॉजी एवं ट्रीटमेंट पर मंथन

जयपुर । इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ट्रीटमेंट से जुड़े 800 से अधिक देशी-विदेशी इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट ने एडवांस मेडिकल टेकनालॉजी और ट्रीटमेंट पर विस्तार से चर्चा की। मौका रहा इंडियन सोसाइटी ऑफ वैस्कुलर एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी (आईएसवीआईआर) का 24वां वार्षिक सम्मेलन, जो जयपुर के दिल्ली रोड स्थित फेयरमाउंट होटल में आयोजित हो रहा है। सेमीनार में एडवांस कंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ट्रीटमेंट, प्रोटोकॉल, टिपिकल केसेज और एडवांस ट्रीटमेंट टेकनोलॉजी पर भी विस्तार से चर्चा हुई। पहले दिन के सेमीनार में 12 सेशंस और वर्कशॉप हुई। वर्कशॉप में डॉ.सौरभ तनेजा और डॉ.किशोर मंगल ने लाइफ सपोर्ट स्किल्स के तहत बेसिक लाइफ सपोर्ट स्किल्स के बारे में बताया।

पहले दिन के सेशंस में एम्बोलिज़ेशन, एम्बोलोथेरेपी, एडवांस एम्बोलिज़ेशन, एमएसके एम्बोलिज़ेशन, पोर्टल इंटरवेंनशन, नेशनल-इंटरनेशनल ओरेशन आदि टॉपिक्स पर चर्चा और पैनल डिस्कशन हुआ। अंत में विषय विशेषज्ञों को सम्मानित किया गया। चार दिवसीय सेमीनार में यूएसए, थाइलैंड, यूएई, जापान सहित 23 देशों से 800 डॉक्टर्स हिस्सा ले रहे हैं। सेमीनार में 30 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स भी शामिल हैं।

‘कम खर्च में जल्द रिकवरी संभव’

सेमीनार में डॉ.मितेश गुप्ता ने बताया कि आज से कुछ साल पहले तक ब्रेन डेड, लीवर कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और फाइब्रॉइड जैसी बिमारियों के लिए केवल सर्जरी ही एक मात्र समाधान था लेकिन अब ऐसा नहीं है। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ट्रिटमेंट एक नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट है जो न केवल बिना कट बिना किसी चीर-फाड़ के शरीर की बंद नसों को खोला जा सकता है। इसमें न केवल सफलता के चांस सर्जरी के मुकाबले काफी अधिक है, कम खर्च में जल्द रिकवरी भी संभव है। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के द्वारा हार्ट के अलावा सभी नसों को आसानी से खोला जा सकता है।

डॉ.मितेश गुप्ता ने आगे बताया कि यह तकनीक देश में नई है इसलिए थोड़ी महंगी हो सकती है लेकिन सर्जरी के बाद की दवाईयों और अन्य खर्चों के मुकाबले यह सस्ती व कारगर है। इस एडवांस टेकनोलॉजी की मदद से लकवे का इलाज तीन से चार घंटे में ही किया जा सकता है। पिन हॉल पद्धति (सूई के बराबर का छेद) के जरिए केवल एक वायर द्वारा क्लॉट को बाहर निकाला जाता है और बंद नसों को खोला जाता है। इसमें दिल के अलावा सभी पॉइंट्स जैसे पैर, हाथ, दिमाग, थाइराइड की गांठ, ट्यूमर आदि में एनेस्थीसिया दिए बगैर ट्रीटमेंट किया जा सकता है और मरीज अगले ही दिन डिस्चार्ज होकर जा सकता है।

0.8 एमएम नसों की भी हो सकती है एंजियोग्राफी’

डॉ. निखिल बंसल ने बताया कि 0.8 एमएम साइज की नसों की भी एंजियोग्राफी कर ट्रीटमेंट किया जा सकता है। यह केवल इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी से भी संभव है। इसके साइड इफेक्ट भी काफी कम हैं क्योंकि दवाई को निश्चित पॉइंट पर टार्गेट कर एंटर कराया जाता है ताकि डेमेज कम से कम और रिकवरी ज्यादा से ज्यादा हो। मिनिमम इन्विजिबल ट्रीटमेंट के जरिए 10-12 सेमी. का टुकड़ा भी निकाला जाता है। इससे बॉडी कॉस्मेटिक भी नहीं बिगड़ता है। इस मेडिकल ट्रीटमेंट से फिजिकल और मेंटली परेशानी भी नहीं होती है।

‘इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी का भविष्य कहीं सुखद’

1998 में देश में केवल 15 इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट हुआ करते थे लेकिन वर्तमान में 1300 से अधिक हैं। राजस्थान में करीब 40 इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट हैं जिनमें से 17 से 18 डॉक्टर्स जयपुर में भी इस टेकनोलॉजी से ट्रीटमेंट कर रहे हैं। डॉ.अजित के.यादव और डॉ. बालाजी पटेल कोला ने बताया कि अभी तक रेडियोलॉजिस्ट को केवल एमआरआई या एक्सरे के लिए जाना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। यह तकनीक अब ट्रिटमेंट तक आ पहुंची है और आगे भी इसका भविष्य काफी सुखद होने वाला है। आईएसवीआईआर स्टूडेंस व डॉक्टर्स को इस टेकनोलॉजी से रुबरु कराते हैं। अब तक नेपाल, बांग्लादेश आदि देशों में कई डॉक्टर्स को इस टेकनोलॉजी से अवगत कराया जा चुका है। भारत में भी करीब करीब सभी मेट्रो सिटीज में इस पद्धति को इस्तेमाल किया जा रहा है। आने वाले 5 से 10 सालों में छोटे शहरों में भी इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी को पूर्ण तौर पर अपनाया जा सकेगा।

पहले दिन के पैनल में ये रहे शामिल –

पहले दिन के पैनल में डॉ.अनिल काशी, डॉ.उज्जवल गोसाई, डॉ.मेक्सिम इतकिन, डॉ.अरी इसाकॉन, डॉ.एलेक्स पाविदाफा, डॉ.फ्रेंको उर्सी, डॉ.इमरान नजीर सालरो, डॉ.लूआन नगुएन, डॉ.सीताराम बर्थ, डॉ.संजीव कालवा, डॉ.मितेश गुप्ता, डॉ. निखिल बंसल, डॉ.रविकुमार राधाकृष्णम, डॉ.यादव मुंडे, डॉ. सौरभ तनेजा, डॉ.किशोर मंगल, डॉ.मधुसुधन केएस, डॉ.संदीप बगला, डॉ.मनसा शॉ, डॉ.संदीप वैद्य, डॉ. रोहित मधुकर, डॉ.सीपीएस चौहान, डॉ.चिन्मय कुलकर्णी, डॉ. रोहित खंडेलवाल, डॉ. पारुल गर्ग, डॉ. बृजेश रॉय, डॉ. अरुण गुप्ता, डॉ. अभय कपूर, डॉ. अनिल पिलाई, डॉ.आशीष वर्मा, डॉ. पुलकित रंगार्थ, डॉ. एस राजेश, डॉ. सहनवाज बी.कालू, डॉ.समीर गंदानी और डॉ. सुदीप पुनामिया सहित अन्य डॉक्टर्स मौजूद रहे।

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