जयपुर। युवाओं को रंगमंच के रंगों और लोक नाट्य के लालित्य से रूबरू करवाने के उद्देश्य से जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित कार्यशाला की गुरुवार को शुरुआत हुई। 45 दिवसीय आधुनिक रंगमंच एवं गवरी लोक नाट्य शैली आधारित अभिनय व प्रस्तुतिपरक कार्यशाला में 40 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इसमें प्रतिभागी रंगमंच और गवरी की बारीकियां सीखेंगे।
वरिष्ठ नाट्य निर्देशक साबिर खान ने बताया कि यह कार्यशाला एक वृहद स्तरीय प्रयास है। शुरुआत में सभी बेसिक लेवल से सीख रहे हैं। सबसे पहले फिजिकल स्ट्रेंथ पर काम किया जा रहा है। एकाग्रता बढ़े इसके लिए खेल व व्यायाम करवाए जा रहे हैं। इन गतिविधियों से सभी में सामंजस्य भी बैठेगा। धीरे-धीरे चीजें इम्प्रोवाइज होंगी। आगे स्टोरी, अभिनय, वॉइस मॉड्यूलेशन पर काम होगा।
गवरी के पहलुओं का प्रवेश होने से पहले सभी को गायन और नृत्य की मूलभूत जानकारी दी जाएगी। इसके बाद गवरी में कलाकार मास्क कैसे बनाते हैं, पात्र क्या होते हैं, वेशभूषा के विषय में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
साबिर खान ने बताया कि कलाकारों से चर्चा के बाद नाटक तैयार किया जाएगा। लोक संगीत का सौंदर्य समाहित करने वाले गवरी में मुख्यत: थाली और मांदल बजाया जाता है, इसके साथ कलाकार कैसे सामंजस्य बैठा के नाटक करेंगे यह सबसे महत्त्वपूर्ण सीख भी प्रतिभागियों को दी जाएगी। कार्यशाला विरासत से विकास का क्रम दिखाती है और गवरी जैसी कला फिर जीवंत हो सकेगी।