जयपुर। कई वर्षों पूर्व आमजन के बेहतर स्वास्थ्य ओर चिकित्सा के लिये लिखी गई प्राचीन पांडुलिपियों को आयुर्वेद आयुर्वेद चिकित्सा और शिक्षा में शोध के लिये राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान मानक विश्वविद्यालय जयपुर का आयुर्वेद पाण्डुलिपि विभाग पूरे देश से मिलने वाली प्राचीन पांडुलिपियों और ग्रन्थों का संरक्षण कर रहा है। आयुर्वेद चिकित्सा में शिक्षा और शोध के लिए पाण्डुलिपि विभाग के दल को जैन ग्रन्थालय जयपुर से 4 दुर्लभ आयुर्वेद सम्बन्धित पाण्डुलिपियों की छाया प्रतियॉं लोकहितार्थ संरक्षण के लिये दी गई।
प्रो. असित कुमार पांजा ने बताया कि राष्ट्रीय सन्त आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से संस्थापित ओर प्रणम्य सागर महाराज एवं मुनि समत्त्व सागर महाराज के विशेष सहयोग से संचालित जयपुर स्थित जैन ग्रन्थालय में 600 से अधिक पांडुलिपियों को संरक्षित किया गया है। यहाँ आयुर्वेदाचार्य के विद्यार्थी वैभव जैन, दीपक कुमार जैन, शुभम जैन, सिद्धांत शाह पुणे, प्रसन्न जैन, धैर्य डांगरा एवं अर्चित जैन ने पांडुलिपि की माइक्रोफिल्मिंग एवं उनको संरक्षित करने का कार्य कर रहे है।
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के पांडुलिपि विभाग से डॉ. प्रवीण कुमार बी.,अनिल कुमार शर्मा सहायक आचार्य के साथ आयुर्वेद पाण्डुलिपियों के अवलोकन के लिए आयुर्वेद पाण्डुलिपि विभाग के दल ने आयुर्वेद सम्बन्धित दुर्लभ पाण्डुलिपियों का निरीक्षण साथ ही ग्रन्थालय की समिति सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान मानद विश्वविद्यालय को हाईवे रिसर्च और आमजन के स्वास्थ्य लाभ के लिए दी गई प्राचीन पांडुलिपियों की प्रति के लिए आभार व्यक्त किया।