जयपुर। आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी सोमवार को पापांकुशा एकादशी के रूप में मनाई गई। पापांकुशा का अर्थ है पापों से मुक्ति। आराध्य देव गोविंद देवजी सहित अन्य मंदिरों में विशेष पूजा-आराधना हुई।
एकादशी पर ठाकुरजी को लाल रंग की पोशाक धारण कराकर गोचारण लीला के आभूषण धारण कराए गए। विशेष आाभूषण से श्रृंगार किया गया। सुभाष चौक पानों का दरीबा स्थित श्री सरस निकुंज में श्री शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर फूलों से श्रृंगार किया गया। श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि वैष्णव श्रद्धालुओं ने पदगायन कर ठाकुरजी को रिझाया।
पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथजी मंदिर में महंत सिद्धार्थ गोस्वामी के सान्निध्य में, चौड़ा रास्ता के राधा दामोदर में महंत मलय गोस्वामी, रामगंज बाजार के लाड़लीजी मंदिर में महंत डॉ. संजय गोस्वामी के सान्निध्य में एकादशी उत्सव मनाया गया। मंदिरों में वैष्णव परिकरों ने व्रत रखकर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की।
विशेष संयोग नहीं बढ़ाई शुभता:
सोमवार को विशेष योग का संयोग भी रहा। गुरु और शुक्र ग्रह का एक दूसरे के सातवें भाव में मौजूद रहने से समसप्तक योग बना है। वहीं शतभिषा नक्षत्र में अमृत और शश योग बनने से अधिक लोगों ने व्रत रखकर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा-अर्चना की। 27 नक्षत्रों में 24 वां शतभिषा नक्षत्र सौ तारों वाला मना गया है। इस नक्षत्र में पापांकुशा एकादशी होने से सभी प्रकार के दोषों का नाश होता है।
उल्लेखनीय है कि एकादशी रविवार को सुबह करीब नौ बजे लग गई थी। खाटू श्याम मंदिर सहित जयपुर के श्याम मंदिरों में एकादशी व्रत कल ही रख लिया गया। लेकिन उदयात तिथि सोमवार को रहने से वैष्णव मंदिरों में सोमवार को ही एकादशी का व्रत रखा।