November 22, 2024, 7:16 am
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गुरु का महत्व माता-पिता बच्चों को जन्म से ही सिखाते रहे हैं: संत कमलेश जी महाराज

जयपुर। पशुपति नाथ मंदिर मुहानासिद्ध पीठ धाम के संत कमलेश महाराज के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन मानसरोवर स्थित ‘मैजेस्टिक रेसोर्ट’ में किया गया। प्रवक्ता नीरज और मोहित ने बताया की हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरू पूर्णिमा महोत्सव का अयोजन बड़े स्तर पर किया गया। कार्यक्रम में भजन संध्या और प्रसादी का भी आयोजन किया गया जिसमें सैंकड़ों की संख्या में भक्तों ने हिस्सा लिया और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस अवसर पर संत कमलेश महाराज ने कहा कि इस देश के संस्कार रहे हैं कि माता-पिता जन्म से ही बच्चों का संबंध किसी न किसी रूप में गुरु से जोड़ते रहे हैं। चाहे वह गुरु शिक्षा के क्षेत्र में हो, आध्यात्मिक क्षेत्र में हो, या जीवन को सही मार्ग पर ले जाने के क्षेत्र में हो, यह देश की परंपरा का हिस्सा रहा है और यहां गुरु सर्वोपरि रहे हैं।

महाराज ने कहा कि इस देश की पावन भूमि पर जब परमात्मा भी अवतार लेकर आए तो वे भी बिना गुरु के अपना जीवन सार्थक नहीं बना सके। इसलिए उन्हें भी गुरु नीति के साथ जोड़ा गया। गुरु का मतलब केवल माला पहनकर किसी मठ में बैठने वाला नहीं होता है, बल्कि गुरु वह होता है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन को सही मार्ग दिखा सके और उसे सही मार्ग पर ले जाने के लिए प्रेरित कर सके। गुरु-शिष्य की परंपरा को बनाए रखने में दोनों का ही अहम योगदान होता है। शिष्य को अपनी गरिमा बनाए रखनी चाहिए और गुरु को भी अपनी गरिमा का पालन करना चाहिए।

संत कमलेश महाराज ने बताया कि गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन निरंतर कई वर्षों से बिना किसी अवरोध के किया जा रहा है, जिसमें सैकड़ों भक्त अपनी मर्जी से अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं। महाराज ने कहा कि मुझे खीर खिलाना बड़ा पसंद है, इसलिए सभी भक्तों के लिए खीर का प्रसाद तैयार किया जाता है जो सब मिलकर ग्रहण करते हैं। यह मेरे भक्तों का प्रेम है जो हर साल इस दिन का इंतजार करते हैं और प्रेम के साथ इसमें सम्मिलित होते हैं।

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