जयपुर। छोटी काशी के वैष्णव मंदिरों में बसंत पंचमी से फाग उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। मंगला झांकी में ठाकुरजी को प्रतिदिन गुलाल अर्पित की जा रही है। वैष्णव मंदिरों में धीरे-धीरे फाग उत्सव की रंगत दिखाई देने लगी है। फाग उत्सव के चलते मंदिरों में बृजधाम की तर्ज पर फूलों की होली खेली जाएगी। फाग उत्सव में राधा –कृष्ण के भजनों के साथ अबीर –गुलाल उड़ेगा और भगवान के होली प्रसंगों की आधारित झांकियां सजाई जाएंगी।
फाग गीत भी गाए जाएंगे और नृत्य होगा। बसंत पंचमी उत्सव पर ठाकुरजी की पोशाक भी बदली गई है। उन्हें सूती और रंग-बिरंगे रेशमी वस्त्र धारण कराए जा रहे है। उनके भोग में भी बदलाव हो गया है। अभी सर्दी के मौसम में तिल्ली और गर्म वस्तुओं का भोग लग रहा था। होली के करीब आने पर गुझिया और विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगेगा।
आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर सहित छोटीकाशी के अन्य राधा-कृष्ण मंदिरों में केसर युक्त चंदन, गुलाल, अबीर सेवा की जा रही है। परंपरानुसार गुलाल ललिता जी, अबीर विशाखा जी, चोवा यमुनाजी और चंदन राधा जी के भाव से प्रभु को होली खिलाई जाएगी। बसंत के इन 40 दिनों में प्रभु के समीप बसंत, धमार, फाग और होरी यह 4 विशेष राग में कीर्तन गाए जाएंगे। होली खेलन पधारो श्री वृंदावन में, आज बिरज में होली रे रसिया जैसे कीर्तन गाए जाएंगे। बसंत में प्रभु को विशेष तौर पर सफेद वस्त्र एवं सिर पर मोर चंद्रिका और सोने के आभूषण पहनाए जाएंगे।