जयपुर। एक तरफ सरकार द्वारा रोजगार की बात कही जाती है दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन रोजगार पाने वाले गरीब तबका ई रिक्शा चलाने वाले लोगों को बेरोजगार करने पर तुली हुई है। आज की तारीख में देखा जाए तो शहर में आम आदमी व्यापारी औरतों और बच्चों की एक खास जरूरत ई रिक्शा बन चुकी है इसके अलावा डीजल के धुएं से वातावरण को छुटकारा मिला है। ई-रिक्शा के खिलाफ पुलिस प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अभियान को लेकर ई रिक्शा वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र पाल सिंह ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा ई रिक्शा जब से आया है गरीबों के रोजगार का सबक बना है ।
इसके अलावा शहर में डीजल वाहनों से हो रहे प्रदूषण से भी काफी हद तक छुटकारा मिला है उन्होंने कहा एक आम आदमी की जरूरत बन चुका ई रिक्शा पर शासन प्रशासन द्वारा गरीबों को बेरोजगार करने पर तुले हुए हैं उन्होंने कहा कि अखबारों के जरिए से यह खबर छाई हुई थी कि पहले ई-रिक्शा चालकों को वर्कशॉप के जरिए समझाइश की जाएगी परंतु पुलिस प्रशासन ने अपना डंडा चलाना शुरू कर दिया और 8 से 10 हजार रुपए तक के चालान गरीब ई रिक्शा वालों पर करने लगे। उन्होंने कहा पहले सरकार के पास लाइसेंस बनाने का कोई भी सिस्टम नहीं था। अब जब लाइसेंस बनाने का सिस्टम आया है तो कुछ मोहलत देनी चाहिए।
साथ ही उन्होंने कई मर्तबा यह मांग भी राखी प्रशासन से कि कम से कम जयपुर शहर में 300 स्टैंड और 400 चार्जिंग स्टेशन आवंटित करें। मगर शासन प्रशासन ने इस पर कहीं गौर नहीं किया । साथी उन्होंने यह भी कहा की ई-रिक्शा की स्क्रैप पॉलिसी लाई जाए जो 5 साल से पुराने हैं । उन्हें संचालन से भर किया जाए परंतु इस पर भी कोई और फिक्र नहीं की गई। एक तरफ लोगों के लिए सुविधा बना ई रिक्शा पर यह इल्जाम है कि उन्होंने अतिक्रमण कर रखा है मगर लोग यह भूल जाते हैं की जयपुर में आए दिन अब वीआईपी मूवमेंट से 3 से 4 दिन तक लोगों के खराब हो जाते हैं ।
इसके अलावा सड़कों पर बरांडों में अतिक्रमण है। उसका ना निगम को ना ही शासन प्रशासन को फिक्र है। उन्होंने कहा कि उनकी मांगों को माना जाए और उन्हें लाइसेंस और ई-रिक्शा के कागजात तैयार करने का मौका दिया जाए। जिससे गरीबों का परिवार सुकून से पाल सके।