जयपुर। साइबर ठगी रोकने और बदमाशों को पकड़ने के लिए अब पुलिस एआई तकनीक का उपयोग कर रही है। इसके लिए पुलिस को हाल ही ट्रेनिंग भी दी गई है। हाल ही में आयोजित हैकाथॉन में साइबर ठगी को रोकने के लिए एआई तकनीक के मदद और उपयोग को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। एआई तकनीक के उपयोग को लेकर साइबर थाना पुलिस के साथ अन्य थानों की पुलिस को भी तकनीकी ज्ञान दिया जा रहा है।
पिछले माह जयपुर कमिश्नरेट पुलिस ने एआई तकनीक का उपयोग कर मानसरोवर और सोडाला थाना पुलिस ने साइबर ठग गिरोह का खुलासा कर बड़ी संख्या में लोग अरेस्ट करने के साथ कम्प्यूटर सहित अन्य सामान जब्त किया गया था। खास बात यह है कि प्रदेश के साथ-साथ जयपुर शहर में लगातार साइबर अपराध में इजाफा हो रहा है। एआई तकनीक की मदद से पुलिस ने संदिग्ध नम्बर, फेंक कॉल्स सहित अन्य जानकारी जुटाकर साइबर अपराध पर लगाम लगाने के साथ ऐसे अपराधियों तक पहुंच सकती है।
पुलिस महानिदेशक (साइबर क्राइम, एससीआरबी एवं तकनीकी सेवाएं)डॉ रवि प्रकाश मेहरडा ने कहा कि साइबर क्रिमिनल समय के साथ अपग्रेड होते जा रहे हैं, पुलिस भी अपना तंत्र और ट्रेनिंग मजबूत कर टेक्नोलॉजी को अपग्रेड कर रही है। । राजस्थान में हैकाथॉन आयोजित के मुख्यतः दो मकसद थे। पहला साइबर क्राइम में अवेयरनेस और दूसरा पुलिस की समस्याओं का टेक्नोलॉजिकल सॉल्यूशन।
साइबर क्राइम से बचाव के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। सड़क को यूज का नियम व अनुशासन की तरह ही साइबर स्पेस में अनुशासन आवश्यक है। वर्तमान में लगभग हर व्यक्ति मोबाइल, लैपटॉप के मार्फत साइबर स्पेस से जुड़ा है। डिजिटल पेमेंट्स की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, इससे भी साइबर अपराधियों को मौका मिल गया। आमजन ही नही, पढ़े लिखे लोगों को भी साइबर क्रिमिनल बातों में फंसा फाइनेंशियल फ्रॉड के शिकार बना लेते हैं।
गौरतलब है कि साइबर ठगी की बात करें तो जयपुर शहर में रोजाना औसतन 4 मामले दर्ज हो रहे है। साइबर ठग आसानी से बातों में उलझाकर सहित अन्य माध्यमों से आमजन को शिकार बना रहे है। जयपुर कमिश्नरेट में साइबर ठगी के मामलों की जांच के लिए स्पेशल साइबर थाने के साथ इलाके की थाना पुलिस को भी काम सौंपा गया है। बड़ी साइबर ठगी के मामले की जांच स्पेशल साइबर थाना पुलिस करेंगी, वहीं छोटी साइबर ठगी के मामलों की जांच स्थानीय थाना पुलिस करती है।
खास बात यह है कि स्थानीय थाना पुलिस के जवान साइबर ठगी के मामलों की जांच को लेकर एक्सपर्ट नहीं होते है, ऐसे में इन मामलों का खुलासा या पीडित को ठगी की राशि मिलने की उम्मीद कम होती है। वहीं साइबर थाना पुलिस के पास एक्सपर्ट होते है। ऐसे में बड़ी साइबर ठगी के मामलों के खुलासों की संभावना 70 प्रतिशत तक होती है।